भारत की भूमिका

फारस की खाड़ी, पश्चिम एशिया में हिंद महासागर का एक विस्तार है, जो ईरान और अरब प्रायद्वीप के बीच फैला हुआ है। संयुक्त राष्ट्र इस जल स्रोत को फारस की खाड़ी (Persian Gulf) के रूप में परिभाषित करता है तथा यह क्षेत्र बहरीन, ईरान, इराक, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के द्वारा संयुक्त रूप से साझा किया जाता है।

भारत की भूमिका

  • भारत इस क्षेत्र में स्थानीय या क्षेत्रीय विवादों में शामिल होने से अधिकतर बचता आया है, परन्तु भारत को खाड़ी क्षेत्र में सामूहिक सुरक्षा नीति का समर्थन करना चाहिये। इस क्षेत्र में शांति व स्थायित्व भारत के लिये लघु एवं दीर्घकालिक दोनों अवधियों के लिये लाभकारी साबित होगा क्योंकि इस क्षेत्र में शांति और क्षेत्रीय स्थिरता भारतीय हितों के लिये अति आवश्यक है।
  • दीर्घकालिक आधार पर भारत को भारत खाड़ी देश के साथ अच्छे संबंधों की स्थापना हेतु स्वास्थ्य देखभाल सेवा के साथ-साथ दवा अनुसंधान और उत्पादन, पेट्रोकेमिकल, भारत में बुनियादी ढांचे के निर्माण और तीसरे देशों में कृषि, शिक्षा और कौशल के साथ-साथ अरब सागर में निर्मित द्विपक्षीय मुक्त क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

खाड़ी सहयोग परिषद

  • यह अरब प्रायद्वीप में स्थित छह देशों का एक विशेष राजनीतिक एवं आर्थिक गठबंधन है, जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं और जिसकी स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी।
  • यह सदस्य देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देने के किये प्रयासरत है, इसका मुख्यालय सऊदी अरब की राजधानी रियाद में स्थित है एवं इसकी कार्यकारी भाषा अरबी है।