ध्वनि प्रदूषण पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय

जुलाई 2005 में उच्चतम न्यायालय ने अपने एक निर्णय में यह आदेश दिया कि रात्रि का दस बजे से सुबह के छह बजे तक लाउडस्पीकर या किसी वाघ यन्त्र के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाना IPC का धारा 268,290 और 291 के तहत लोक अपदूषण (Public Nuisance) होने के कारण दंडनीय अपराध है।

  • CrPC का धारा 133 के तहत कार्यपालक दंडाधिकारी द्वारा ध्वनि प्रदूषण को भी लोक अप्रदूषण मानकर इसे रोकने का आदेश दिया जा सकता है। न्यायालय के अनुसार रात्रि का 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक ध्वनि प्रदूषण फैलाना भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 के तहत उन सभी के जीने के मौलिक अधिकार का हनन है जो रात्रि में इन अवधियों के दौरान शांति चाहते हैं।
  • IPC का धारा 268 में लोक अपदूषण का परिभाषा दिया गया है। IPC का धारा 290 में ध्वनि प्रदूषण जैसे मामले में (सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार) लोक अप्रदूषण करने पर 200 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।