जनवरी 2020 में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि राज्य, राष्ट्र हित में अल्पसंख्यक संस्थानों को विनियमित कर सकते हैं।
उच्चतम न्यायाल ने पश्चिमी बंगाल मदरसा सेवा आयोग अधिनियम 2008 की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्णय दिया।
इस अधिनियम के द्वारा अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में मान्यता प्राप्त मदरसों से शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक आयोग का गठन किया गया था।
इस अधिनियम की वैधता को बनाए रखते हुए, उच्चतम न्यायालय ने दोहराया कि फ्अल्पसंख्यक संस्थानों के हित को प्रभावित किए बिना यदि ऐसे कदम का उद्देश्य अल्पसंख्यक संस्थानों में उत्कृष्टता (शिक्षकों की नियुक्ति सहित) सुनिश्चित करना है, तो यह अनुमत हैय्।
न्यायालय ने इस मामले पर निर्णय देने के क्रम में टी-एम-ए- पाई फाउंडेशन बनाम कर्नाटक राज्य वाद को भी संदर्भ के तौर पर प्रस्तुत किया।