केरल शिक्षा विधेयक बाद 1958

इसमें न्यायालय द्वारा कहा गया कि अल्पसंख्यक ऐसे लोगों का समुदाय होना चाहिए, जो राज्य में संख्यात्मक रूप से समग्र स्तर पर अल्पसंख्यक हो न कि किसी विशेष क्षेत्र या स्थान के आधार पर।