प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (PMSSN)

10 मार्च, 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त अधिनियम, 2007 के सेक्शन 136B के तहत लिए जाने वाले स्वास्थ्य एवं शिक्षा

  • उपकर से प्राप्त होने वाली राशि से स्वास्थ्य क्षेत्र हेतु एक ‘प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि’ (पीएमएसएसएन) बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
  • यह लोक लेखे में एक गैर-व्यपगत आरक्षित निधि होगी, जो वित्त अधिनियम 2007 के अंतर्गत अधिरोपित स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर की आय से लोक लेखे में स्वास्थ्य के गठित कोष है।
  • वर्ष 2018-19 के बजट में पूर्ववर्ती 3 प्रतिशत शिक्षा उपकर के स्थान पर 4 प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर आरोपित किया गया, ताकि ग्रामीण व निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं के लिए अतिरिक्त धन संग्रहित किया जा सके।

PMSSN की विशेषताः PMSSN का प्रशासन एवं रखरखाव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा किया जायेगा।

  • किसी भी वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की योजनाओं पर व्यय आरम्भ में PMSSN से किया जाएगा तथा इसके उपरांत सकल बजटीय सहायता से किया जाएगा।
  • यह सार्वजनिक खाते में स्वास्थ्य क्षेत्र हेतु एक ‘सिंगल नॉन लैप्सेबल रिजर्व फंड’ है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर से प्राप्त राशि में से स्वास्थ्य का अंश ‘प्रधानमंत्री सुरक्षा निधि’ (PMSSN) में भेजा जाएगा।
  • PMSSN में भेजी गई इस राशि का उपयोग स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं देखभाल केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई), स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों में आपातकाल एवं आकस्मिक विपत्ति काल में तैयारी, प्रतिक्रिया और कोई भी अन्य भावी कार्यक्रम या योजना जिसका लक्ष्य एसडीजी की दिशा में प्रगति हासिल करना और राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।

PMSSN का लाभः यह निर्धारित संसाधनों की उपलब्धता के माध्यम से सार्वभौमिक और वहनीय स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच को बढ़ाएगा।

  • बेहतर स्वास्थ्य स्थितियों के साथ जनसंख्या की जीवन प्रत्याशा अतिरिक्त एक वर्ष बढ़ने से प्रति व्यक्ति जीडीपी 4 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
  • आर्थिक दृष्टि से देखें तो बेहतर स्वास्थ्य से उत्पादकता में सुधार होता है तथा असामयिक मौत, लंबे समय तक चलने वाली अपंगता और जल्द अवकाश लेने के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।