राजनीतिक मुद्दा

भारत और भूटान के बीच कुछ मनमुटाव 1949 की भारत-भूटान मैत्री सन्धि की धारा 2 की व्याख्या को लेकर है। इस धारा में कहा गया है कि भारत भूटान के आन्तरिक मामलों में कोई दखल नहीं देगा, लेकिन विदेशी मामलों में भूटान को भारत की सलाह-मशविरा से ही चलना पड़ेगा। भूटान का मत है कि इस धारा की मनचाही व्याख्या नहीं की जा सकती।

  • विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी भूटान ने भारतीय दृष्टिकोण से भिन्न नीति अपनायी है। हवाना गुटनिरपेक्ष सम्मेलन (1979) में जहां भारत बहुसंख्यक निर्गुट देशों के साथ कम्पूचिया की सीट को खाली रखने के पक्ष में था वहीं भूटान ने कम्पूचिया की सीट पोल पोत समूह को देने की वकालत की। भारत जहां परमाणु अप्रसार सन्धि को पक्षपातपूर्ण मानता है वहां भूटान इस सन्धि के पक्ष में है।
  • जून 1981 में भूटानी विदेश मन्त्री ने राष्ट्रीय असेम्बली में घोषणा की कि भूटान चीन के साथ सीधे द्विपक्षीय वार्ता करना चाहता है ताकि भूटान-चीन सीमा को चिह्नित किया जा सके।