ऑनलाइन विवाद समाधान

मई, 2020 में नीति आयोग (National Institution for Transforming India- NITI Aayog) ने ‘आगामी और ओमिदयार नेटवर्क इंडिया’ (Agami and Omidyar Network India) के साथ मिलकर ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ (Online Dispute Resolution- ODR) को आगे बढ़ाने हेतु वर्चुअल बैठक आयोजित की गई।

  • वर्चुअल बैठक में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश, प्रमुख सरकारी मंत्रालयों के सचिव, उद्योगजगत के अग्रणी लोग, कानून के विशेषज्ञ और प्रमुख उद्यमियों ने भाग लिया।
  • इस बैठक का सामान्य विषय भारत में ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ को आगे बढ़ाने के प्रयास सुनिश्चित करने के लिये सहयोगपूर्ण रूप से कार्य करने की दिशा में बहु-हितधारक सहमति कायम करना था।

ऑनलाइन विवाद समाधान (Online Dispute Resolution- ODR): ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र से तात्पर्य वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternate Dispute Resolution- ADR) की डिजिटल तकनीक का उपयोग कर विशेष रूप से छोटे और मध्यम किस्म के विवादों का बातचीत, बीच-बचाव और मध्यस्थता के माध्यम से समाधान करना है।

  • इस विधि में विवादों के समाधान की सुविधा के लिये सभी पक्षों द्वारा ऑनलाइन प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है।
  • ऑनलाइन विवाद समाधान विवादों को कुशलतापूर्वक और किफायती तरीके से सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है।
  • ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ सुविधाजनक, सटीक, समय की बचत करने वाला और किफायती है।

ऑनलाइन विवाद समाधान के लाभ

  • न्यायालय के लंबित मामलों में कमी आएगी।
  • नागरिकों की न्याय तक सुलभ और सस्ती पहुंच सुनिश्चित होगी।
  • ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ से मुकदमों को हल करने में तेजी आएगी तथा नागरिकों को त्वरित न्याय की प्राप्ति होगी।
  • न्यायालयों की अवसंरचना संबंधी खर्च में कमी आएगी।
  • सुविधाजनक, सटीक, समय की बचत और लागत-बचत।

ऑनलाइन विवाद समाधान के चुनौतियाँ

  • देश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की पहुंच एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान किये बिना ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र के विस्तार की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • भारत में ऑनलाइन मध्यस्थता के कार्यान्वयन की राह में शिक्षा की कमी और प्रौद्योगिकी तक पहुंच न होना एक और बड़ी समस्या है।
  • तकनीक का असमान वितरण अर्थात् सभी तक तकनीक की एक जैसी पहुंच न होना भी ‘ऑनलाइन विवाद समाधान’ के राह की एक अन्य बड़ी बाधा है। विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी, इंटरनेट और ई-कॉमर्स के अवसरों का असमान वितरण इस तंत्र की स्वीकृति और मान्यता को बाधित करता है।