राष्ट्रीय वृद्धजन नीति (आईपीओपी), 1999

वृद्धजनों के बेहतर जीवन को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए जनवरी, 1999 में राष्ट्रीय वृद्धजन नीति की घोषणा की गई।

  • इस नीति में वित्तीय एवं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय और वृद्धजनों की अन्य जरूरतों, विकास में उचित भागीदारी, दुरुपयोग और शोषण के विरुद्ध संरक्षण तथा उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य का समर्थन परिकल्पित है।

उद्देश्यः लोगों को अपनी और अपने जीवन साथी की वृद्धावस्था हेतु स्वयं व्यवस्था करने के लिए प्रोत्साहित करना।

  • परिवारों को अपने परिवार के वृद्ध व्यक्तियों की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • परिवार द्वारा की जा रही देखभाल में अभिवृद्धि करने के लिए स्वैच्छिक और गैर सरकारी संगठनों को समर्थ बनाना और सहायता करना।
  • कमजोर वृद्धजनों की देखरेख और संरक्षण प्रदान करना।
  • वृद्धजनों को पर्याप्त स्वास्थ्य देखरेख सुविधाएं उपलब्ध कराना।
  • वृद्धजनों को जराचिकित्सा देखभाल करने वाले और सेवाओं का संगठन करने वालों को प्रशिक्षित करने के लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण सुविधाओं को प्रोत्साहित करना, और
  • सृजनशील एवं स्वतंत्र जीवन जीने में सहायता करने में जनों को सहायता पहुंचाने के संबंध में जागरूकता लाना।
  • बदलते हुए जनसांख्यिकी पैटर्न, वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक आर्थिक आवश्यकताओं, सामाजिक मूल्य प्रणाली तथा विगत दशक के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति के मद्देनजर एनपीओपी, 1999 को बदलने के लिए नई राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

वरिज्ष्ठ नागरिक कल्याण निधि

18 मार्च, 2016 को भारत के राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित वरिष्ठ नागरिक कल्याण निधि नियमावली 2016 के नियम 3 के अनुसार एक वरिष्ठ नागरिक कल्याण निधि स्थापित की गई।

उद्देश्यः वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और वरिष्ठ नागरिकों का पोषण, वृद्ध विधवाओं के कल्याण को बढावा देने संबंधी योजनाएं, वरिष्ठ नागरिकों इत्यादि के लिए वृद्धाश्रम, अल्प प्रवास गृह तथा दिवा-देखभाल गृहों से संबंधित योजनाओं सहित राष्ट्रीय वृद्धजन नीति के अनुरूप वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को बढावा देना।