स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति (National Policy for Rare Disesaes: NPRD) 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रमुख तथ्यः स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति (NPTRD) विकसित की गई थी।
नीति के प्रमुख प्रावधानः लोक स्वास्थ्य और अस्पताल राज्य का विषय होने के कारण, केंद्र सरकार NPRD के माध्यम से दुर्लभ रोगों की जांच और रोकथाम की दिशा में राज्यों को उनके प्रयासों के लिए प्रोत्साहित करेगी तथा सहायता प्रदान करेगी। नीति के प्रावधानों में शामिल हैं:
1. नीति के उद्देश्यः एक एकीकृत और व्यापक निवारक रणनीति के आधार पर दुर्लभ रोगों की व्यापकता तथा प्रसार को कम करना।
2. दुर्लभ रोगों को 3 समूहों में वर्गीकृत किया गया हैः
3. उपचार के लिए वित्तीय सहायता
4. उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) और निदान केंद्रः कुछ चिकित्सा संस्थानों को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में प्रमाणित किया जाएगा और जांच करने तथा नैदानिक सुविधाओं के उन्नयन के लिए 5 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
5. दुर्लभ रोगों से संबंधित डेटाबेस का निर्माणः अनुसंधान और विकास में रुचि रखने वालों के लिए पर्याप्त डेटा तथा ऐसे रोगों की व्यापक परिभाषाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतु ICMR द्वारा दुर्लभ रोगों से संबंधित अस्पताल-आधारित राष्ट्रीय रजिस्ट्री का निर्माण किया जाएगा।
6. दुर्लभ रोगों से संबंधित औषधियों को किफायती बनानाः दुर्लभ रोगों की औषधियों का स्थानीय स्तर पर विनिर्माण करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
7. अनुसंधान एवं विकासः नई औषधियों के विकास को आरंभ करने हेतु, पुरानी/मौजूदा/उपलब्ध औषधियों के लिए नए चिकित्सीय उपयोग का अन्वेषण (repurposing the drugs) तथा बायोसिमिलर (संदर्भित औषधि) के उपयोग के लिए एक एकीकृत अनुसंधान पाइपलाइन का निर्माण किया जाएगा।
दुर्लभ रोगों दुर्लभ रोगों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत या मानक परिभाषा नहीं है। यह सामान्यतः ऐसे रोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो जनसंख्या में बहुधा/सामान्यतः उत्पन्न नहीं होते हैं, हालांकि इनकी पहचान के लिए तीन संकेतकों का उपयोग किया जाता है, जिनमें शामिल हैंः
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा दुर्लभ रोग को प्रायः दुर्बल करने वाले जीवन पर्यन्त व्यापत रहने वाले रोग या विकार की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसकी व्यापकता प्रति 10,000 लोगों (या प्रति 1,000 जनसंख्या पर 1) पर 10 लोगों या उससे कम में होती हैं हालांकि, विभिन्न देशों की परिभाषाएं उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप और उनकी अपनी जनसंख्या, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तथा संसाधनों के संदर्भ में अलग-अलग हैं।
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