राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013

सरकार ने संसद द्वारा पारित, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 10 सितम्बर,2013 को अधिसूचित किया है, जिसे हाल ही में, नीति आयोग ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 [National Food Security Act NFSA), 2013] में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

NFSA 2013 की समीक्षा की आवश्यकता

  • केंद्रीय निर्गम मूल्य (CIP) की वैधताः इन सब्सिडी युक्त मूल्य को अधिनियम लागू होने की तिथि से तीन वर्षों (जुलाई 2016 तक) की अवधि के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, केंद्र द्वारा इसमें संशोधन (वर्ष 2013 से) किया जाना अभी शेष है।
  • खाद्य सब्सिडी बिल का बढ़नाः जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर भारतीय खाद्य निगम (FCI) चावल और गेहूं (भंडारण का व्यय आदि भी शामिल) क्रय करता है, वह CIP की तुलना में अति उच्च होता है।
  • CIP वह मूल्य होता है, जिस पर जन वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न वितरित किया जाता है। इससे खाद्य सब्सिडी बिल बहुत बढ़ जाता है।
  • अधिशेष स्टॉक के रखरखावः उच्च उत्पादन और MSP में वृद्धि के साथ CIP में कोई परिवर्तन नहीं होने से FCI के पास अतिरेक स्टॉक संचित हो गया है।
  • ये अधिशेष स्टॉक परिचालनगत और रणनीतिक भंडार आवश्यकताओं से अधिक है और इसमें वृद्धि हो गई है। इन अधिशेष स्टॉक के रखरखाव ने खाद्य सब्सिडी बिल पर अतिरिक्त बोझ उत्पन्न कर दिया है।
  • बाजार असंतुलनः यदि CIP में संशोधन नहीं हुआ तो, जनसंख्या में वृद्धि के कारण लाभार्थियों की कुल संख्या (कुल जनसंख्या का 67%) भी बढ़ेगी।
  • अत्यधिक सब्सिडीयुक्त मूल्यों पर उच्च कोटा और अति आपूर्ति से खाद्यान्नों का बाजार मूल्य और कम होगा, जिससे किसान सरकारी एजेंसियों को खाद्यान्न विक्रय करने में अक्षम और उनकी आय में गिरावट आएगी।

NFSA, 2013 में प्रस्तावित संशोधन की आलोचना

उद्देश्यपरक मूल्यांकन का अभावः संशोधन इसकी कार्यप्रणाली और इसकी प्रभावशीलता के उद्देश्यपरक मूल्यांकन पर आधारित नहीं है, बल्कि यह खाद्य सब्सिडी कम करने की आवश्यकता पर आधारित है।

दक्षता बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं: उच्च खाद्य सब्सिडी वास्तव में सरकार द्वारा खाद्य खरीददारी और भंडारण में कुप्रबंधन का परिणाम हैं परंतु, इस प्रकार के कुप्रबंधन से निपटने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं किया गया है।

खाद्य और पोषण सुरक्षा का कमजोर होनाः सुधारों के प्रस्ताव से NFSA के कवरेज के प्रसार के लक्ष्य को उपेक्षित कर दिया जाएगा और इसे अर्द्ध-सार्वभौमिक बना दिया जाएगा।

  • PDS के लाभार्थियों की संख्या घटाना लक्षित विवरण के युग की पुनरावृत्ति होगी, जो न केवल असक्षम और लीकेज संभावित था, बल्कि निर्धनों की एक ऐसी बड़ी संख्या लाभ से भी वंचित थी, जिन्हें वास्तव में सरकारी सहायता की आवश्यकता थी।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिानियम, 2013

  • इसे संसद द्वारा 10 सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया है।
  • उद्देश्यः लोगों को निष्ठापूर्वक जीवन जीने के लिए वहन करने योग्य कीमतों पर उत्तम भोजन की पर्याप्त मात्रा तक पहुंच सुनिश्चित करते हुए मानव जीवन चक्र उपागम में खाद्य एवं पोषण संरक्षण प्रदान करना।

अधिनियम की विशेषताएं

1. विस्तार क्षेत्र एवं परिवारों की पहचान करनाः यह अध्निियम योग्य परिवारों को दो वर्गों के अधीन परिभाषित करता हैः

    1. अन्त्योदय अन्न योजना के अधीन आने वाले परिवार एवं
    2. लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन प्राथमिक परिवार के रूप में आने वाले परिवार।
  • लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन योग्य परिवारों से जुड़े ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की जनसंख्या के अधिकार-क्षेत्र का प्रतिशत केन्द्रीय सरकार द्वारा नवीनतम जनगणना आंकड़ों के अनुसार जनसंख्या आकलन के आधार पर करना होता है।
  • योग्य परिवारों को मिलने वाले अधिकार ग्रामीण जनसंख्या के लिए 75 प्रतिशत तथा शहरी जनसंख्या के लिए 50 प्रतिशत छूट प्राप्ति तक कीमतें विस्तारित होंगी।
  • अधिनियम के उपबंध के अनुसार राज्य सरकार को ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिए निश्चित लोगों में ही योग्य परिवारों की पहचान करनी है, यथा वे परिवार जो अन्त्योदय अन्न योजना में आते हैं एवं बचे हुए परिवार प्राथमिक परिवार के रूप में है जिन्हें लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन सम्मिलित किया जाना है।

2. खाद्य अधिकारः प्रत्येक प्राथमिकता प्राप्त परिवार लक्ष्यित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन राज्य सरकार से प्रत्येक माह प्रति व्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न का अधिकारी होगा।

  • अन्त्योदय अन्न योजना के अधीन आने वाले परिवारों अधिनियम के प्रारंभ होने से तीन वर्षों तक प्रत्येक मास प्रति परिवार 35 किलो खाद्यान्न प्राप्ति के अधिकारी होंगे, जहां चावल, गेहूं, मोटे अनाज में छूट प्राप्त कीमत क्रमशः 3 रुपए, 2 रुपए, एवं 1 रुपए प्रति किलो से अधिक नहीं होगी।

3. महिलाओं एवं बच्चों के अधिकारः अधिनियम में महिलाओं एवं बच्चों के पोषण संबंधी समर्थन पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है।

  • स्थानीय आंगनबाड़ी द्वारा प्रत्येक गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली महिला गर्भधारण के दौरान एवं शिशु जन्म के बाद छह महीने तक निःशुल्क भोजन प्राप्ति की अधिकारी होगी एवं उसे मातृत्व लाभ के रूप में मिलने वाली राशि छह हजार रुपए से कम नहीं होगी, जिसे केन्द्रीय सरकार के निर्देशानुसार किश्तों में बांटा जाएगा।
  • चौदह वर्ष तक की आयु का प्रत्येक बालक इस अधिनियम के अधीन सम्मिलित किया जाएगा। अपनी पोषण संबंधी आवश्यकताओं के लिए 6 महीने से 6 वर्ष तक के आयु वर्ग के बालक स्थानीय आंगनबाड़ी द्वारा आयु के अनुरूप यथोचित भोजन प्राप्त करने के अधिकारी हैं, जबकि 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चे सरकारी/राजकीय सहायता-प्राप्त विद्यालयों से भोजन प्राप्त करने के अधिकारी होंगे।

4. महिला सशक्तीकरणः प्रत्येक योग्य परिवार में अठारह वर्ष अथवा अधिक आयु वालों में ज्येष्ठतम महिला, जहां भी विद्यमान हो, राशन कार्ड जारी करने के प्रयोजन हेतु परिवार की मुखिया मानी जाएगी।

  • किसी परिवार में किसी भी समय कोई महिला विद्यमान नहीं है अथवा कोई अठारह या अधिक आयु की महिला नहीं है, परंतु वहां पर महिला सदस्य विद्यमान है एवं वह अठारह वर्ष से कम आयु की है, तब राशन कार्ड जारी करने के प्रयोजन हेतु परिवार का सबसे बड़ी आयु का सदस्य परिवार का मुखिया होगा एवं महिला सदस्य के अठारह वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने पर वह पुरुष सदस्य के स्थान पर राशन कार्ड के लिए परिवार की मुखिया बन जाएगी।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5): NFHS-5 के नवीनतम आंकड़ों से यह स्पष्ट रूप से ज्ञात हुआ है कि पोषण के मोर्चे पर गतिहीनता की स्थिति उत्पन्न हुई है और कई स्थितियों में प्राप्त उपलब्धियां व्युत्क्रमित हो गई हैं। यह स्थिति खाद्य सुरक्षा और आजीविका संबंधी परिस्थितियों द्वारा आगे और गहन होगी।