चमेली सिंह बनाम यू.पी. (1996)

भोजन का अधिकार भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों और निर्देश सिद्धांतों का एक हिस्सा है।

संधारणीय विकास लक्ष्य-2 (SDG-2):शून्य भुखमरी

संधारणीय विकास लक्ष्यों में, विशेष रूप से एस-डी-जी के लक्ष्य-2, लक्ष्य-3 व लक्ष्य-6 कुपोषण से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित हैं। एस.डी.जी. लक्ष्य-2 के अनुसार सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भुखमरी के अंत के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा तथा सबके लिए बेहतर पोषण हासिल करें और संधारणीय कृषि को बढ़ावा दें और एस.डी.जी. लक्ष्य-3 के अंतर्गत सभी आयु वर्ग के लोगों में स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करें एवं उनकी अच्छी देखभाल को बढ़ावा दें तथा एस.डी.जी. लक्ष्य-6 का मुख्य उद्देश्य सबके लिए स्वच्छ वातावरण के साथ-साथ पीने के पानी की उपलब्धता एवं संधारणीय प्रबंध सुनिश्चित करना है।

संधारणीय विकास लक्ष्य-2 का प्रमुख उद्देश्यः वर्ष 2030 तक भुखमरी मिटाना और सभी लोगों, विशेषकर गरीब और शिशुओं सहित लाचारी की स्थिति में रह रहे लोगों को पूरे वर्ष सुरक्षित, पौष्टिक तथा पर्याप्त भोजन सुलभ कराने की व्यवस्था करना है।

  • वर्ष 2030 तक कुपोषण को हर रूप में मिटाना, जिसमें 5 वर्ष से छोटे बच्चों में बौनेपन और क्षीणता के विषय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत लक्ष्य 2025 तक हासिल करना शामिल है। इसके अलावा किशोरियों, गर्भवती एवं स्तनपान करानेवाली महिलाओं तथा वृद्धजनों की पोशाहार की जरूरतों को पूरा करना।
  • वर्ष 2030 तक खेती की उत्पादकता और खासकर महिलाओं, मूल निवासियों, पारिवारिक किसानों, चरवाहों और मछुआरों सहित लघु आहार उत्पादकों की आमदनी को दोगुना करना तथा टिकाऊ आहार उत्पादन प्रणालियां सुनिश्चित करना और कृषि की नवीनतम विधियां अपनाना, जिनसे उत्पादकता और पैदावार बढ़े, पारिस्थितिक प्रणालियों के संरक्षण में मदद मिले, जलवायु परिवर्तन, कठोर मौसम, सूखे, बाढ़ और अन्य आपदाओं के अनुरूप ढलने की क्षमता मजबूत हो।