महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा)

इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अकुशल निर्धन लोगों के लिए मजदूरी पर रोजगार के सृजन के लिए अगस्त, 2005 में संसद में एक विधेयक पारित कर प्रत्येक ग्रामीण परिवार के एक इच्छुक वयस्क को वर्ष में 100 दिनों तक के लिए अकुशल शारीरिक श्रम कार्य उपलब्ध कराने की गारंटी देने का निर्णय किया गया है।

  • इसका उद्देश्य सतत् विकास में, मदद करना ताकि सूखा, वन कटाई एवं मिटी के कटाव जैसी समस्याओं से बचा जा सके। इस प्रावधान के तहत एक-तिहाई रोजगार महिलाओं के लिये सुरक्षित किया गया है। 2018-19 में, 5 करोड़ परिवारों को इस अधिनियम के अंतर्गत रोजगार के अवसर दिये गये।
  • मार्च 2018 में, विभिन्न राज्यों में अकुशल मैनुअल श्रमिकों के लिये मजदूरी दर संशोधित कर दी गई है। इन राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों में मजदूरी दर की सीमा तय की गई। केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें योजना के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कोष तथा राज्य रोषगार गारंटी कोष की स्थापना करेंगी।
  • केन्द्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना के अंतर्गत मजदूरी को अपडेटेड मुद्रास्फीति सूचकांक (CPI-ग्रामीण) से संबद्ध करने की योजना बनायी जा रही है, जिसे वार्षिक रूप से संशोधित किया जाएगा।