हिन्द महासागर क्षेत्र

हिन्द महासागर का क्षेत्र वर्तमान समय में वैश्विक रूप से सबसे ज्यादा सामरिक महत्व का क्षेत्र बन चुका है। चीन की इस क्षेत्र में बढ़ती सक्रियता तथा भारत को स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स की नीति से इस क्षेत्र में घेरने की कोशिश ने प्राकृतिक संसाधनों और सामरिक रूप से समृद्ध इस क्षेत्र की महत्ता को और बड़ा दिया है। ‘विश्व का सर्वाधिक सामरिक व सशस्त्र संघर्ष वाला क्षेत्र हिंद महासागर ही है। चीन और अमेरिका दोनों ने ही हिंद महासागर के सामरिक महत्व को भली-भांति समझ लिया है और यही कारण है कि यह दोनों देश हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी सक्रियता और दबाव निरंतर बढ़ाते जा रहे हैं।

  • यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया व चीन से यूरोप, मध्य पूर्व एवं अफ्रीका को जोड़ने वाला सबसे महाशक्तियों इसमें रूचि लेने लगे है, जिसके परिणामस्वरूप हिन्द महासागर का क्षेत्र भू राजनीति का शिकार हो गया है तथा भारत चीन एवं अमेरिका के त्रिभुज द्वारा यहां की भू राजनीति प्रभावित हो रही है तथा इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन का प्रयास किया जाता रहा है।

इस क्षेत्र का महत्व

  • यह क्षेत्र विश्व के कुल अपतटीय तेल उत्पादन का 40% से अधिक का उत्पादन करता है तथा यह क्षेत्र मत्स्य उत्पादन का लगभग 15% का योगदान करता है। यह उत्तरी अटलांटिक और एशिया प्रशांत में अन्तरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालकों को संयोजित करता है तथा विश्व का 80% सी अधिक समुद्र मार्ग से होने वाला व्यापार हिन्द महासागर से किया जाता है। यह क्षेत्र होर्मुज, मलक्का तथा वाव अल मंदेल जैसे जल संधियों का क्षेत्र है जो सामरिक और व्यपारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।