किगाली संशोधन को भारत की मंजूरी

अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के किगाली संशोधन को अनुसमर्थन प्रदान किया। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का किगाली संशोधन, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (Hydrofluorocarbons - HFCs) के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से संबंधित है।

  • मुख्य बिंदुः भारत 4 चरणों में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के अपने चरण को 2032 में 10%, 2037 में 20%, 2042 में 30% और 2047 में 80% की संचयी कमी के साथ पूरा करेगा।
  • किगाली संशोधन के तहत, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत को कम कर देंगे।
  • हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का चरणबद्ध तरीके से उपयोग बंद करने से 105 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा। इस प्रकार, यह 2100 तक वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से बचने में मदद करेगा और ओजोन परत की रक्षा करने में भी मदद करेगा।

कार्यान्वयन रणनीति

  • हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति को 2023 तक तैयार किया जाएगा।
  • इसे तैयार करने में उद्योग सहित सभी हितधारकों के साथ आवश्यक परामर्श किया जाएगा।
  • किगाली संशोधन के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत के उचित नियंत्रण की प्रणाली बनाई जाएगी।
  • इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्ष 2024 के मध्य तक ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ (विनियमन और नियंत्रण) नियमों ¹Ozone Depleting Substances (Regulation and Control) Rules] में आवश्यक संशोधन किया जाएगा।
  • तय समय-सीमा के अनुसार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का उत्पादन और खपत करने वाले उद्योग इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करेंगे।
  • हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी।

किगाली संशोधन

  • रवांडा के किगाली में अक्टूबर 2016 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों की 28वीं बैठक (MOP 28) आयोजित की गई थी। बैठक के दौरान 170 से अधिक देशों ने भाग लिया।
  • इस बैठक के दौरान जलवायु और ओजोन परत की रक्षा करने के उद्देश्य से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन की सहमति व्यक्त की गई।
  • 65 देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद किगाली संशोधन 1 जनवरी, 2019 से लागू हो गया। इसका लक्ष्य वर्ष 2047 तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन की खपत में 80% से अधिक की कमी लाना है।
  • इस संशोधन के प्रभाव से सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.5° C की वृद्धि से बचा जा सकेगा।
  • किगाली संशोधन के बाद, ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल अब और भी अधिक शक्तिशाली साधन हो गया है।