कॉप 26

नवम्बर, 2021 में ग्लास्गो में CoP26 वैश्विक जलवायु सम्मेलन में नेताओं ने दशक के अंत तक वनों की कटाई को रोकने और धीमी जलवायु परिवर्तन में मदद करने के लिये मीथेन के उत्सर्जन को कम करने का संकल्प लिया है।

  • इससे पहले भारत ने घोषणा की थी कि वह पांच सूत्री कार्य योजना के तहत 2070 तक कार्बन तटस्थता तक पहुंच जाएगा, जिसमें 2030 तक उत्सर्जन को 50% तक कम करना शामिल है। अमेरिका, ब्रिटेन और जापान ने 2050 तक; यूरोपीय संघ ने 2060 तक; सऊदी अरब, चीन और रूस ने 2070 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य हासिल करने का प्रस्ताव रखा है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड के बाद जलवायु परिवर्तन में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता मीथेन के वैश्विक उत्सर्जन को 2030 तक 2020 के स्तर से 30% तक कम करने के लिये गठबंधन के सदस्य प्रयास करेंगे।

प्रमुख तथ्य

शिखर सम्मेलन में भारत की प्रतिबद्धताएँ: भारत की ओर से COP-26 में जलवायु कार्रवाई के लिये पांच प्रतिबद्धताएं प्रस्तुत की गईं, जिन्हें ‘पंचामृत’ कहा गया, इनमें शामिल हैं:

  • वर्ष 2030 तक भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट (GW) तक ले जाना।
  • वर्ष 2030 तक भारत की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करना।
  • वर्ष 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45% से अधिक की कमी करना।
  • अब से वर्ष 2030 तक इसके शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करना। वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना।