डी.एन.ए. तकनीकी पर स्थाई समिति की रिपोर्ट

फरवरी, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन लोकुर ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्थाई समिति के समक्ष एक लिखित दस्तावेज प्रस्तुत किया है।

  • इसमें कहा गया है कि अन्वेषण एजेंसियों द्वारा संदिग्धों के डी. एन. ए. सैंपल को ‘डी. एन. ए. तकनीकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक 2019’ के तहत एकत्रित करने की अनुमति दी गयी है, यह अनियंत्रित शक्ति डी. एन. ए. दुरूपयोग को बढ़ावा दे सकती है, जिससे किसी भी व्यक्ति के निजी जीवन, गरिमा और स्वतंत्रता को आघात पहुंचाया जा सकता है।

रिपोर्ट की मुख्य बिंदु

डी. एन. ए. तकनीकी विधेयक पर पर बनी स्थाई समिति ने 3 फरवरी, 2021 को अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की, इस पैनल की अध्यक्षता कांग्रेस नेता जयराम नरेश द्वारा की जा रही है।

  • यह विधेयक कुछ निश्चित वर्ग के व्यक्तियों जैसे अपराधी, संदिग्ध, लापता, या न्यायिक हिरासत में लिये गए व्यक्ति (जिनका मामला विचाराधीन है) आदि की पहचान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से डी. एन. ए. के प्रयोग एवं अनुप्रयोग को विनियमित करता है।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया कि वर्तमान में बहुत सीमित मात्र में भारत में डी. एन. ए. जांच की जाती है, मात्र 15-18 प्रयोगशालायें ही हैं, जिनके लगभग 30-40 लगभग 3000 से कम मामलों की ही जांच कर पाते हैं।
  • वर्तमान में इन प्रयोगशालाओं के निरीक्षण तथा विनियमन का कोई भी मानक नहीं है।
  • ‘राजीव सिंह बनाम बिहार राज्य (2011)’ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुचित तरीके से डी. एन. ए. विश्लेषण के प्रमाण को खारिज कर दिया था।
  • न्यायमूर्ति ओ- चिन्नप्पा रेड्डी ने 2018 में निजता पर निर्णय देते हुए सर्वोच्च न्यायालय के 1981 के ‘मालक सिंह बनाम पंजाब राज्य’ मामले को उद्धृत किया और कहा कि संदिग्धों को करीब से परखे बिना संगठित अपराधों को सफलतापूर्वक सुलझाया नहीं जा सकता, किन्तु इसकी आड़ में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने की स्वीकृति भी नहीं दी जा सकती है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बार अपराध स्थल के आस पास के लोगों का डी-एन-ए- संदिग्ध समझकर लिया जाता है, यदि बाद में वे अपराधी साबित नहीं होते हैं तो उनके डेटा को डी. एन. ए. बैंक से हटा दिया जाय।
  • रिपोर्ट में विधेयक से ‘स्थानीय डी. एन. ए. डेटा बैंक’ शब्द को हटा दिये जाने की बात भी कही गई है क्योंकि राष्ट्रीय डेटाबैंक खुद में पर्याप्त है।
  • साथ ही इस बात की आवश्यकता भी जाहिर की गई है कि डी. एन. ए. प्रोफाइल को डेटा बैंक को हस्तांतरित कर स्थानीय स्तर की प्रयोगशालाओं से उन्हें नष्ट कर देना चाहिये।