भूमि पांडुगा उत्सव

जून, 2021 में पूर्वी गोदावरी जिले के चिंतूर मंडल में कोया जनजाति (Koya tribes) के लोगों ने अपने पैतृक गांवों में आिखरी बार ‘भूमि पांडुगा’ (Bhumi Panduga) उत्सव मनाया।

  • कोया जनजाति के लोगों का कहना है कि यह आिखरी बार है, जब वे पोलावरम सिंचाई परियोजना के आस-पास के अपने पैतृक गांवों में यह उत्सव मना रहे हैं।
  • भूमि पांडुगा महोत्सव हर साल कृषि कार्यों की शुरुआत को चिह्नित करने वाला उत्सव है, जो आंध्र प्रदेश की कोया जनजाति द्वारा मनाया जाता है। इस उत्सव के हिस्से के रूप में पूर्वी गोदावरी जिले के चिंतूर मंडल की कोया जनजाति के लोग शिकार करने जाते हैं, जो हर साल कृषि कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है।
  • इस उत्सव के हिस्से के रूप में पुरुषों के लिए शिकार अनिवार्य है। इस दौरान हर शाम एक दावत के दौरान गांव के सभी परिवारों के बीच समान रूप से शिकार वितरित किया जाता है।

कोया जनजाति

  • कोया एक भारतीय जनजातीय समुदाय है, जो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में रहते है।
  • कोया अपनी बोली में खुद को कोइतूर कहते हैं।
  • कहा जाता है कि कोया उत्तरी भारत के बस्तर में अपने मूल स्थान से मध्य भारत में चले गए थे।
  • उनका मानना है कि उनके मुख्य देवता अभी भी बस्तर क्षेत्र की एक गुफा में रहते हैं।
  • भाषाः यह जनजाति कोया भाषा बोलती है, जिसे कोया बाशा (Koya basha) भी कहा जाता है, जो गोंडी (Gondi) से संबंधित एक द्रविड़ भाषा है।
  • कोया मुख्य रूप से किसान हैं। वे एक बार एक भूखंड में खेती करके दूसरे भूखंड में स्थानांतरित हो जाते हैं, इस प्रकार विभिन्न क्षेत्रों में खेती करते हैं। हालांकि, सरकार ने अब उनके आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें निश्चित भूखंडों पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।