बंगाल में विधान परिषद बनाने की मंजूरी

जुलाई 2021 में बंगाल में विधान परिषद (Bengal Legislative Council) के गठन को मंजूरी मिल गई है। बंगाल विधानसभा ने संविधान की धारा 169 के तहत राज्य में विधान परिषद के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पारित कर दिया है। अब इसे अमल में लाने के लिए संसद की दोनों सदनों से पारित कराना होगा।

प्रमुख बिंदुः स्वतंत्रता के बाद बंगाल के पहले मुख्यमंत्री डॉ- बिधान चंद्र रॉय ने 1952 में विधान परिषद का गठन किया था, जो कि 1969 तक जारी रहा। लेकिन दूसरी संयुक्त मोर्चा

  • सरकार ने एक विधेयक पारित करके उच्च सदन को समाप्त कर दिया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्य में विधान परिषद का गठन किया जा सकता है। विधान परिषद के निर्माण के लिए विधेयक को संसद के समक्ष पेश करने की आवश्यकता होती है। साथ ही इसके लिए राष्ट्रपति की सहमति की भी आवश्यकता होती है।
  • विधान परिषद के पास विधानसभा की कुल सीटों के 1/3 से अधिक नहीं होना चाहिए- ऐसे में परिषद के पास अधिकतम 98 सीटें हो सकती हैं। सदस्यों में से 1/3 सदस्य विधायकों द्वारा चुने जाएंगे, जबकि अन्य 1/3 सदस्य नगर निकायों, जिला परिषद और अन्य स्थानीय निकायों द्वारा चुने जाएंगे।
  • सरकार द्वारा परिषद में सदस्यों को मनोनीत करने का भी प्रावधान होगा। राज्यसभा की तरह ही इसमें भी एक सभापति और एक उपाध्यक्ष होते हैं। सदस्यों की आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए और उनका कार्यकाल 6 वर्ष का होगा।
  • विधान परिषद के सदस्य नागरिक निकाय के सदस्यों और निर्वाचित विधायकों द्वारा चुने जाते हैं। राज्यपाल कुछ सदस्यों को मनोनीत भी कर सकता है। बंगाल की अंतिम विधान परिषद में 75 सदस्य थे, जिनमें से नौ को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया गया था।