पिछले 5 वर्षों से ‘स्वच्छ भारत’, ‘मेट्रो रेल एक्सटेंशन’, ‘ग्रीन मोबिलिटी’, ‘स्मार्ट सिटीज’ आदि शब्द प्रायः सुनने को मिल रहे हैं। ये सभी प्रचलित शब्द शहरी मामलों से संबंधित हैं। शहरी मामले और इसका प्रशासन सर्वोच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है, जिसके लिए वर्ष 2018-19 केंद्रीय बजट का 2% हिस्सा यानी 41,765 करोड़ रुपये के आवंटित किया गया था।