इसका गठन वर्ष 1990 में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा एक स्वायत्त निकाय के रूप में किया गया था। इसकी स्थापना नई निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास तथा बड़े पैमाने पर प्रयोग के बीच के अंतर को कम करने के उद्देश्य से की गई थी। साथ ही क्षमता निर्माण व कौशल विकास, आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन एवं परियोजना प्रबंधन तथा परामर्श।