अगस्त 2017 मेंसर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया और संसद को मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक को नियंत्रित करने के लिए उचित कानून पर विचार करने का सुझाव दिया। इसके बाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 लागू किया गया, जो 19 सितंबर, 2018 से लागू हैं।
तीन तलाक के कारण सामाजिक विभाजन
पृष्ठभूमि तीन तलाक इस्लामिक तलाक का एक रूप था, जिसे भारत में मुसलमानों द्वारा उपयोग किया जाता रहा है। तलाक की इस पद्धति में मुस्लिम व्यक्ति मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप में तीन बार लगातार ‘तलाक शब्द’ का उच्चारण करके अपनी पत्नी को तलाक देता है। तीन तलाक के कारण भेदभाव
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मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 की मुख्य विशेषताएं
अधिनियम तलाक को एक संज्ञेय अपराध घोषित करता है तथा जुर्माना के साथ तीन साल तक कारावास का प्रावधान करता है। अपराध केवल तभी संज्ञेय होगा, जब अपराध से संबंधित जानकारी इनके द्वारा दी गई होः (i) विवाहित महिला (जिसके खिलाफ तलाक घोषित हो) या (ii) रक्त या विवाह द्वारा उससे संबंधित कोई भी व्यक्ति।
प्रभाव
मुस्लिम महिलाओं को कानून का समान संरक्षण हैं।