9 जनवरी, 2019 को संसद द्वारा 103वां संविधान संशोधन अधिनियम 2019 पारित किया गया। यह अधिनियम आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित व्यक्तियों को 10% आरक्षण का प्रावधान करता है (सार्वजनिक सेवाओं में सीधी भर्ती और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के विषय में)।
पृष्ठभूमि
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भारत में आरक्षण
वर्ष 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड द्वारा सांप्रदायिक पुरस्कार की घोषणा की गई, जिसमें मुसलमानों, बौद्धों, सिखों, ईसाइयों, एंग्लो-इंडियन, यूरोपीय और दलित वर्ग के लिए अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्र प्रदान करने का प्रावधान था।
मुख्य विशेषताएं
संविधान में अनुच्छेद 15(6) और 16(6) सम्मिलित किए गए हैं, जो राज्य को नागरिक पदों एवं सेवाओं और शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश पर आरक्षण का लाभ प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए मानदंड
जिस परिवार की सकल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है, उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के रूप में माना गया है। आय में सभी स्रोतों यानी वेतन, कृषि, व्यवसाय, पेशे आदि से आय भी शामिल होगी।
ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार के पास निम्नलिखित में से कोई भी संपत्ति है, ईडब्ल्यूएस नहीं माना जायेगा, भले ही परिवार की आय आठ लाख रुपये से कम होः
आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण का प्रभाव
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