वर्ष 2005 में भारत सरकार ने सेतुसमुद्रम जहाज रानी नहर परियोजना (Sethusamudram Shipping Canal Project) को मंजूरी दी; लेकिन 2018 में, सरकार ने महसूस किया कि राम सेतु को काटने से ‘सामाजिक-आर्थिक नुकसान’ हो सकता है। यह भारत और श्रीलंका के मध्य उथले जलडमरूमध्य में एक शिपिंग मार्ग बनाने की प्रस्तावित परियोजना है। यह भारतीय प्रायद्वीप के निकट सतत नौगम्य समुद्री मार्ग प्रदान करेगा। वर्ष 1860 में इस परियोजना की कल्पना अल्फ्रेड डुंडास टेलर ने की थी।
परियोजना का पर्यावरणीय प्रभाव परियोजना से पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न होगा और कोरल एवं समुद्री जीव विलुप्त होंगे।
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निष्कर्ष
बढ़ता निवेश और कार्गो यातायात भारतीय बंदरगाह क्षेत्र के सकारात्मक वृद्धि ओर संकेत करते हैं। जहाजरानी क्षेत्र के बेहतर भविष्य के लिए नौवहन मंत्रालय ने 2020 तक 3,130 से अधिक एमएमटी क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे निजी क्षेत्र की भागीदारी द्वारा प्राप्त किया जाएगा। छोटे बंदरगाहों से इस क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक प्राप्त होने की संभावना है। सागरमाला कार्यक्रम के तहत सरकार ने वर्ष 2035 तक बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए कुल 189 परियोजनाओं का चयन किया है।