भारतीय अंतरिक्ष संस्थान (ISRO) ने 24 सितंबर, 2019 को अंतरिक्ष में भारतीय उपग्रहों के मलबे तथा दूसरे खतरों का पता लगाने के लिए प्रोजेक्ट ‘नेत्र’ शुरू किया है। इस परियोजना के लिए मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार (MOTR) तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
यह परियोजना इसरो को भारतीय उपग्रहों के मलबे से होने वाले खतरों को जानने में मदद करेगी, जो पहले से ही अंतरिक्ष में मौजूद हैं या अंतरिक्ष में लॉन्च किए जाने हैं। नेत्र का अंतिम लक्ष्य 36,000 किमी पर जियोस्टेशनरी ऑर्बिट, दृश्य को कैप्चर करना है, जहां संचार उपग्रह काम करते हैं। इसरो (ISRO) का मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार (Multi-Object Tracking Radar) एक एल-बैंड (L-Band) वाला रडार है, जो लंबी दूरी तक वस्तुओं को चिह्नित कर सकता है।
मल्टी-ऑब्जेक्ट रडार, एक बार में 10 विभिन्न वस्तुओं को ट्रैक करने में सक्षम है तथा न्यूनतम 30 सेमी की दूरी से लेकर 800 किमी. की दूरी पर स्थित किसी 30 सेमी के आकार वाले वस्तु को भी चिह्नित कर सकता है। इसी प्रकार 50 सेमी की आकार वाली वस्तु को यह रडार 1,000 किमी की दूरी तक चिह्नित कर सकता है। इस रडार द्वारा अंतरिक्ष मलबे पर नजर रखने के साथ-साथ पुनः प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन तथा मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों के संचालन में मदद मिलेगी।