भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 19 दिसंबर, 2019 को यह घोषणा की गई कि वह अमेरिकी फेडरल बैंक के ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ (Operation Twist) की तर्ज पर खुले बाजार की परिचालन प्रक्रिया (ओपन मार्केट ऑपरेशंस मैकेनिज्म) के तहत एक साथ सरकारी बॉन्ड की खरीद और बिक्री करेगा।
‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ से आशय है कि जब केंद्रीय बैंक लंबी अवधि के सरकारी ऋण पत्रों को खरीदने के लिए अल्पकालिक प्रतिभूतियों की बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग करता है, जिससे लंबी अवधि के लिए ब्याज दरों में आसानी होती है।
आरबीआई द्वारा ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की एक साथ खरीद और बिक्री का फैसला वर्तमान तरलता व बाजार की स्थिति की समीक्षा तथा वित्तीय स्थितियों का आकलन करने के बाद लिया गया।
ओपन मार्केट ऑपरेशंस के तहत, आरबीआई वर्ष 2020 में परिपक्व (maturing) होने वाली चार प्रतिभूतियों (securities) की बिक्री करेगा तथा वर्ष 2029 में परिपक्वता वाले 6.45% सरकारी बॉन्ड (government bond) की खरीद करेगा।
ओपन मार्केट ऑपरेशन आरबीआई को खुली नीलामी के माध्यम से सरकारी बॉन्ड की बिक्री या खरीद द्वारा बैंकिंग प्रणाली में ‘तरलता की स्थिति’ (liquidity conditions) का प्रबंधन करने की अनुमति देता है।
इस कदम की आवश्यकता
मांग में कमी और कम खपत सहित कई कारकों की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था दबाव में है।
केंद्रीय बैंक ने वर्ष 2019 में 135 आधार अंकों की कटौती की, लेकिन इससे मांग में बढ़त काफी कम हुई।
ज्यादातर ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि भारतीय बैंक आरबीआई द्वारा जारी दरों के अनुरूप अपनी संचयी दर में कटौती करने में विफल रहे।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि बाहरी बेंचमार्क के साथ ऋण दरों को जोड़ने के भारतीय रिजर्व बैंक के शासनादेश के बावजूद भारतीय बैंक ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर ऋण देने में सफल नहीं हुए।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि भारत में वर्तमान बाजार की स्थितियों ने निवेशकों/ ग्राहकों को दीर्घकालिक निवेश करने या दीर्घकालिक ऋण प्राप्त करने में संशयशील स्थिति में ला दिया है।
ऑपरेशन ट्विस्ट
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