नेशनल इंस्टीटड्ढूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया, जिसे नीति आयोग भी कहा जाता है, का गठन 1 जनवरी, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था। इसका गठन योजना आयोग को समाप्त करके किया गया था।
नीति आयोग के लक्ष्य और कार्य
केंद्रीय सरकार और अनुरोध पर राज्य सरकारों को दिशात्मक एवं रणनीतिक जानकारी देने के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में काम करना।
अब तक नीति आयोग द्वारा की गई प्रगति
नीति योग द्वारा 15 साल के विजन डॉक्यूमेंट (2017-2031), 7- ईयर स्ट्रेटेजी डॉक्यूमेंट (नेशनल डेवलपमेंट एजेंडा 2017-24) केंद्रीय और राज्य योजनाओं की वित्त पोषण आवश्यकताओं का आंकलन करने के लिए (2017-18 से 2019-20) के लिए 3 वर्षीय एक्शन एजेंडा तैयार किया गया है।
चुनौतियां कुछ राज्यों द्वारा इसकी बैठक को दरकिनार करना, राज्य की योजनाओं और परिणामी समर्थन के लिए वित्तीय संबंधी अभाव इसकी प्रतिष्ठा एवं प्रेरक शक्ति में कमी को दर्शाता है। यह भारत के संतुलित विकास और परिवर्तन के लिए विकासात्मक योजना बनाने में इसकी प्रभावकारिता को भी प्रभावित करता है।
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समाधान
नीति आयोग 2-0 को वित्तीय क्लैट (GDP का 1.5 से 2%) के साथ शुरू करना होगा, ताकि यह राज्य की योजनाओं का समर्थन कर सके और संतुलित क्षेत्रीय विकास की शुरूआत हो सके।
निष्कर्ष
केवल नियोजित आर्थिक विकास ही विकास की दर हासिल करने में मदद कर सकता है, जो राजनीतिक रूप से स्वीकार्य है। नियोजन का सबसे मौलिक उद्देश्य संसाधनों के उपयोग के पैटर्न में परिवर्तन करना है और यदि संभव हो, तो इसके उपयोग को इस तरह से तेज करना होगा, ताकि कुछ सामाजिक रूप से वांछनीय लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। भारत जैसे विकासशील देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य बड़े पैमाने पर गरीबी को दूर करना और संसाधनों में अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करके रोजगार को बढ़ाना है। दूसरे शब्दों में, आय का मुख्य रूप से संसाधन उपयोग के पैटर्न को सुधारने, आय बढ़ाने और आय वितरण के पैटर्न में सुधार के कार्य पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।