भारत सरकार संविधान में केवल प्रावधान के आधार पर योजना आयोग का गठन करने की पहल कर सकती है, जिसने आर्थिक और सामाजिक नियोजन को समवर्ती सूची में एक विषय-वस्तु बना दिया। योजना आयोग की स्थापना का संकल्प वास्तव में इस धारणा पर आधारित था कि केंद्र-राज्य सहयोग की जड़ें और गहरी होनी चाहिए। बाद में 1952 में राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन वास्तव में इस प्रावधान का एक परिणाम था।
विकास परिषद के कार्य हैं
रचना
राष्ट्रीय विकास परिषद की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें सभी केंद्रीय मंत्री, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक तथा योजना आयोग के सदस्य शामिल होते हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री भी परिषद के विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किए जाते हैं।