आयकर अपीलीय अधिकरण (ITAT)

इसे जनवरी, 1941 में एक अर्द्ध-न्यायिक संस्था के रूप में स्थापित किया गया था। यह प्रत्यक्ष कर अधिनियमों के तहत अपील से सम्बंधित मामलों पर निर्णय देती है, जिसके पारित आदेश अंतिम होता है। केवल कानून का मूलप्रश्न (substantial question of law) निर्धारण के लिए उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।

निष्कर्ष

ई-कोर्ट, टेली लॉ, न्याय मित्र जैसे पहलों ने न्याय की बेहतर पहुंच सुनिश्चित की है और कानूनी जागरुकता बढ़ाई है, लेकिन लंबित मामलों की उच्च संख्या, औपनिवेशिक कानूनों का जारी रहना, न्याय में देरी जैसे मुद्दों ने भारतीय न्याय प्रणाली की कुशलता को बाधित किया है। सभी के लिए न्याय और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए इन बाधाओं को दूर करना आवश्यक है।