पहली बार, 1 जून 2013 को एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना शुरू की गई थी। पहल के अंतर्गत शुरुआत में 291 जिलों को कवर किया गया। बाद में जनवरी 2015 में 622 जिलों को शामिल किया गया।
सरकार ने यह योजना शुरू की, ताकि वास्तविक घरेलू एलपीजी सिलेंडर उपयोगकर्ताओं को लाभान्वित किया जा सके। उद्देश्य सब्सिडी के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना और सरकारी खजाने पर बोझ को कम करना था।
इस योजना को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा दुनिया के सबसे बड़े नकद हस्तांतरण कार्यक्रम (पारिवारिक इकाई) के रूप में स्वीकार किया गया है।
इस योजना के तहत सब्सिडी वाले तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) सिलेंडर बाजार दर पर बेचे जाते हैं और उपभोक्ता एलपीजी सब्सिडी सीधे अपने बैंक खातों में प्राप्त करने के हकदार हैं। वर्तमान में यह देश भर में 9.75 करोड़ से अधिक एलपीजी उपभोक्ताओं को कवर करता है।
सरकार ने '#GiveItUp' अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य ऐसे एलपीजी उपयोगकर्ताओं को प्रेरित करना है, जो एलपीजी के लिए बाजार मूल्य का भुगतान करने में सक्षम हैं एवं स्वेच्छा से अपनी एलपीजी सब्सिडी का त्याग करना चाहते हैं। कई सक्षम उपभोक्ताओं ने स्वेच्छा से एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी छोड़ दी है, जो इस योजना की सफलता को दर्शाता है।
लाभार्थी के डेटा में अस्पष्टताओं को हटाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। साथ ही आधार को बैंक खाते से जोड़ने की समस्या का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए। ‘गिव इट अप अभियान’ न केवल स्वैच्छिक आधार पर होना चाहिए, बल्कि सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर सक्षम लाभार्थियों की संख्या कम की जानी चाहिए।
चुनौतियां
बैंक अभी भी पहल योजना के तहत एलपीजी आईडी को बैंक खातों से जोड़ने में पीछे हैं, जिससे एलपीजी सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में हस्तांतरित नहीं हो पा रही है। साथ ही, उपभोक्ताओं को सब्सिडी अग्रिम राशि के रूप में नहीं मिल रही है। वहीं गलत डेटा प्रविष्टि भी बहुत बड़ी समस्या है।