पीडीएस केरोसिन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटीके) योजना

पीडीएस केरोसिन में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटीके) योजना को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा एलपीजी सब्सिडी के समान डीबीटी कार्यक्रम की तर्ज पर शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना है। इस योजना का समग्र उद्देश्य पीडीएस एसकेओ वितरण प्रणाली के आवंटन और वितरण में सुधार लाना है।

  • इस योजना को पहले झारखंड के 4 जिलों में एक पायलट परियोजना के तौर पर शुरू किया गया था। वर्तमान में इसे अधिकांश राज्यों में लागू कर दिया गया है।
  • डीबीटीके के कार्यान्वयन से सब्सिडी वाले केरोसिन के डायवर्जन पर रोक लगने के साथ ही सब्सिडी के भार में कमी आई है।
  • अब तक 12 राज्य सरकारों / संघ शासित प्रदेशों ने स्वेच्छा से डीबीटीके योजना के तहत अपने पीडीएस केरोसिन आवंटन को त्याग दिया है। आठ राज्य सरकारों / संघ शासित प्रदेशों ने पहले ही अपने पीडीएस केरोसिन आवंटन में कटौती कर शून्य कर दिया है। 2017-18 के आवंटन की तुलना में वर्ष 2018-19 के लिए कुल 12% की कमी अभी है।
  • आवंटन सुधारों के एक भाग के रूप में राज्यों / संघ शासित प्रदेशों को अपने पीडीएस एसकेओ आवंटन में स्वैच्छिक कटौती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसके अलावा, राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के सभी घरों को रसोई गैस के तहत लाकर ‘केरोसिन मुक्त’ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • खाना पकाने एवं प्रकाश के लिए सौर-सहायक (solar-assisted) समाधान (और शून्य केरोसिन उपयोग) की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। यह सरकार के साथ-साथ परिवारों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा।

चुनौतियां

  • मुख्य चुनौती सरकार के पास सुव्यवस्थित और एकीकृत डिजिटल उपभोक्ता डेटाबेस का न होना है। इसके अलावा, बैंक शाखाएं दूरस्थ स्थानों पर आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पैसे निकालने की लागत बढ़ती हैं।
  • केंद्र और राज्यों के बीच एक बेमेल संबंध है, क्योंकि केंद्र सब्सिडी का राजकोषीय प्रभाव वहन करता है एवं राज्य लाभार्थियों और सब्सिडी की मात्रा निर्धारित करते हैं।