इसका गठन 1945 में अस्थायी गैर-लाभकारी संगठन के रूप में किया गया था, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में खाद्य सहायता पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
निष्कर्ष
भारत ने महिलाओं से सम्बंधित विभिन्न मोर्चों पर व्यापक प्रगति की है; जैसे कि मातृत्व मृत्युदर घटाना, साक्षरता दर बढ़ाना, उच्च शिक्षा सुनिश्चित करना इत्यादि; लेकिन यहां अभी भी महिला सुरक्षा, लिंग अनुपात में गिरावट, संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व आदि मुद्दे हैं, जिनका समाधान किया जाना आवश्यक है। महिलाओं का सशक्तिकरण बाल विकास से जुड़ा हुआ है। महिलाओं के लिए सुरक्षित और सक्षम परिवेश बनाकर सकारात्मक नीतियों पर जोर देना चाहिए; जो उनके सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करेगा।