वर्ष 1962 में शिक्षण संस्थानों को अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने के उद्देश्य से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) गठित किया गया था। यह उन छात्रों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी है, जिनके माता-पिता केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं और जिनका अक्सर स्थानांतरण होता रहता है।
बोर्ड के कार्य
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निष्कर्ष
शिक्षा एक समग्र अवधारणा है, परंतु शिक्षा में विकास के साथ-साथ अच्छा प्रदर्शन करने की चाह एक प्रतिकूल स्थिति पैदा कर रही है, जहां उपलब्धि और प्रदर्शन के लिए छात्रों में बहुत तनाव उत्पन्न हो रहा है। यही नहीं, यांत्रिक शिक्षा प्रणाली में बच्चों को उत्पाद के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उनके व्यक्तिगत विकास और कौशल विकास की अनदेखी हो रही है। इसलिए शिक्षा के इन अनदेखे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए।