नाविक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित भारत की एक स्वदेशी क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite-IRNSS) है। जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन होगी।
सरल शब्दों में कहें तो यह भारत की अपनी स्वदेशी जीपीएस प्रणाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम भारत के मछुवारों को समर्पित करते हुए नाविक (Navigation with Indian Constellation- NavIC) रखा है।
इसका उद्देश्य देश तथा देश की सीमा से 1500 किमी. की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है।
नाविक प्रणाली के उपग्रह प्रक्षेपण का कालक्रम
उपग्रह |
प्रक्षेपण |
प्रक्षेपण यान |
IRNSS-1A परमाणु घडि़यों के फेल होने के बाद निष्प्रभावी |
1 जुलाई, 2013 |
PSLV-XL-C22 |
IRNSS-1B |
4 अप्रैल, 2014 |
PSLV-XL-C24 |
IRNSS-1C |
16 अक्टूबर, 2014 |
PSLV-XL-C26 |
IRNSS-1D |
28 मार्च, 2015 |
PSLV-XL-C27 |
IRNSS-1E |
20 जनवरी, 2016 |
PSLV-XL-C31 |
IRNSS-1F |
10 मार्च, 2016 |
PSLV-XL-C32 |
IRNSS-1G |
28 अप्रैल, 2016 |
PSLV-XL-C33 |
IRNSS-1H (प्रक्षेपण असफल) |
31 अगस्त, 2017 |
PSLV-XL-C39 |
IRNSS-1I |
12 अप्रैल, 2018 |
PSLV-XL-C41 |
नाविक के प्रयोग
नाविक प्रणाली, मैप तैयार करने, समय का सटीक पता लगाने, नैविगेशन की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने तथा समुद्री नैविगेशन के अतिरिक्त सैन्य क्षेत्र में भी मददगार होगी। यह नाविकों को स्मार्टफोन पर सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के माध्यम से मछली पकड़ने हेतु संभावित क्षेत्रों की जानकारी, खराब मौसम एवं उच्च तरंगों की स्थिति के विषय में सूचना देना तथा मछुआरे जब भी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास होंगे, तब उन्हें सतर्कता संदेश (Alert Messages) भेजने का काम करेगा।
नाविक व्यापारी जहाजों के पथ-प्रदर्शन एवं खोज तथा बचाव कार्यों आदि में भी सहायता करेगा।
IRNSS मुख्य रूप से दो प्रकार की सेवाएं मुहैया कराएगा-