डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया कि वायु प्रदूषण से श्रम उत्पादकता में नुकसान के कारण भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का 8 प्रतिशत (लगभग) घाटा झेला और मौद्रिक रूप में इससे 4 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह घटती वायु गुणवत्ता जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन भी है, क्योंकि ‘‘स्वच्छ हवा का अधिकार" इस मौलिक अधिकार में शामिल है।
इस कठोर वास्तविकता से निपटने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को राष्ट्रीय स्तर की एक मध्यम अवधि की रणनीति के रूप में तैयार किया है, ताकि देश भर में बढ़ती वायु प्रदूषण समस्या से व्यापक तरीके से निपटा जा सके।
एनसीएपी के उद्देश्य
कार्यक्रम का महत्व
कार्यक्रम की आलोचना
आगे की राह (नीति आयोग का "breathe india" प्लान)
1. ZEVs के माध्यम से ड्राइव मोबिलिटी (शून्य-उत्सर्जन वाहन)
2. वाहनों के उत्सर्जन को घटाने के लिए कड़े उपाय लागू करना
3. बिजली क्षेत्र का सुधार करके उत्सर्जन को कम करना
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नया उपकरण पर्यावरण मंत्रालय ने नई दिल्ली में एक वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण स्थापित किया है, जिसे ‘‘विंड ऑग्मेंटेशन प्यूरीफिकेशन यूनिट (WAYU)’’ कहा जाता है। यह यंत्र उच्च यातायात वाले क्षेत्रों जैसे चौराहों और पार्किंग क्षेत्रों में अस्थिर कार्बनिक यौगिकों और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को हटाकर वायु प्रदूषण को कम करताहै। यह यंत्र दो सिद्धांतों पर काम करता है, जिसमें वायु प्रदूषकों को कमकरने के लिए निरंतर हवा का प्रवाह सुनिश्चित करने के साथ-साथ वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का ऑक्सीकरण किया जाता है। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की नागपुर स्थित प्रयोगशाला के साथ ‘‘स्ट्रीट कैन्यन" प्रभाव से निपटने के लिए यह उपकरण विकसित किया है। "स्ट्रीट कैन्यन" प्रभावः यह देखा गया है कि अधिकांश घने यातायात वाले क्षेत्रों में वाहन के धुएं के साथ-साथ सड़क की धूल से होने वाला प्रदूषण कम नहीं होता है और हवा में ही बना रहता है। बाद में यह पता चला कि ट्रैफिक जोन के पास ऊंची इमारतों की मौजूदगी हवा के प्रवाह को रोकती हैं, जिससे स्ट्रीट कैन्यन प्रभाव नामक घटना का जन्म होता है। |
4. औद्योगिक वायु प्रदूषण के लिए नियामक ढांचा सुधार
5. ‘‘प्रदूषक द्वारा भुगतान" की अवधारणा पर आधारित एक राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार प्रणाली को लागू करना
6. स्वच्छ निर्माण प्रथाओं को अपनाना
7. फसल अवशेषों के उपयोग के लिए एक व्यवसाय मॉडल लागू करना
बड़ी कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन कंपनियों द्वारा फसल अवशेषों की सीधी खरीद।
8. एक एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन नीति को लागू करना
राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन (एनईएसएम) ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में प्रगति के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से एनईएसएम को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। यह एक सक्षम नीति और नियामक ढांचे का निर्माण करके विनिर्माण, अनुप्रयोग, नवाचार और लागत में कमी को प्रोत्साहित करता है। मिशन ने तीन चरणीयहल दृष्टिकोण (थ्री स्टेज सॉल्यूशन अप्रोच) का प्रस्ताव रखा है, यानी बैटरी निर्माण वृद्धि के लिए वातावरण तैयार करना, आपूर्तिश्रृंखला रणनीतियों में वृद्धि और बैटरी सेल निर्माण को बढ़ाना। जिन मुख्य क्षेत्रों में ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोग महत्वपूर्ण होगा, उनमें शामिल हैं:
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9. शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से शहरी धूल से निपटना
10. जंगल की आग से निपटने के प्रयासों को एकीकृत करना
11. खाना पकाने के स्वच्छ तरीकों को प्रोत्साहन
12. राष्ट्रीय स्तर के एक लक्षित आईईसी अभियान के द्वारा व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से सार्वजनिक स्वामित्व को आगे बढ़ाना।
13. सुसंगत और परिमाणित राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय और क्षेत्रीय योजना का विकास करना।
14. वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली में सुधार।
15. श्रेणीबद्ध आकस्मिक कार्य योजना विकसित करना, जो घने शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के बदलते स्तरों के लिए एक प्रतिक्रिया तंत्र के रूप में काम करेगी।