अपने विस्तार और गहराई के विचार से प्रशासनिक सुधार भिन्न-भिन्न प्रकार के हो सकते हैं। सुधारों को वर्गीकृत करने का एक तरीका उसकी विषय वस्तु पर ध्यान देना है। सामान्यतः निम्नलिखित प्रकार के प्रशासनिक सुधारों की पहचान की जा सकती है।
संरचनात्मक सुधारः प्रत्येक प्रशासनिक संगठन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अवयव संरचना है, अर्थात एक ऐसी युक्ति जो संगठन में कार्य-विभाजन, प्रत्यायोजन एवं विकेंद्रीकरण की व्यवस्था करती है। संरचनात्मक सुधारों का आशय ऐसे सुधार प्रस्तावों से है जो संरचना की प्रभावनीयता और कुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से इसमें परिवर्तन लाना चाहते हैं।
प्रक्रियात्मक सुधारः किसी भी संगठन में समय बीतने के साथ प्रक्रियाएं सांस्थानीकृत हो जाती हैं जैसे वित्तीय नियम, कार्मिक नीतियाँ, नत्थीकरण पद्धतियाँ आदि। संगठन पुरानी प्रक्रियाओं से चिपके रहना चाहते हैं। प्रक्रियात्मक सुधार लालफीताशाही को दूर करने के प्रयास में प्रक्रियाओं में परिवर्तन लाना चाहते हैं। उदाहरणतः भारत में स्टाफ निरीक्षण इकाई सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती है।
व्यवहारपरक सुधारः सभी बड़े संगठन एक अधिकारी तांत्रिक संरचना विकसित करना चाहते हैं। किसी भी अधिकारी तंत्र में इसका अवैयक्तिक चरित्र और व्यक्तियों में पर्याप्त महत्त्व का अभाव रहता ही है। व्यक्तियों के अमानवीयकरण के कारण अधिकारीतंत्र के सदस्यों में अभिप्रेरणा का अभाव उत्पन्न होता है जो लोगों को उनके द्वारा दी जा रही सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालता है। व्यवहारपरक सुधार व्यक्ति की महत्ता और गरिमा को पुनः स्थापित करना चाहते हैं ताकि एकता का वातावरण बने एवं समूहगत सदभाव पनपे। इस प्रकार ये सुधार कर्मचारियों के अभिप्रेरणा स्तरों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं।
ऊपर वर्णित भिन्न-भिन्न प्रकार के सुधारों पर अलग-अलग या संयुक्त रूप से विचार किया जा सकता है। यह कहना आवश्यक नहीं है कि यदि किसी को सुधारों से पूरा-पूरा लाभ उठाना हो तो सभी सुधारों पर एक साथ ही विचार किया जाना चाहिए।