12 फरवरी, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्र सरकार की उस एडवाइजरी पर अमल करने के लिए कहा है जिसमें युवतियों को देवदासी बनाने की कुप्रथा को खत्म करने के लिए कहा गया है।
केरल की एक एनजीओ एस-एल फाउंडेशन ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में उठाया था तथा आरोप लगाया था कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु की सरकारों द्वारा इस कुप्रथा को रोकने के सार्थक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इससे पहले फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्य सचिव को उतरंग माला दुर्गा मंदिर में लड़कियों को जबरन देवदासी बनाने पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।
पूर्व के फैसले
विशाल जीत बनाम यूनियन ऑफ इंडिया, 1990 के केस में सुप्रीम कोर्ट ने देवदासी प्रथा पर चिंता व्यक्त किया था।
कोर्ट ने कहा था की विभिन्न कानूनों तथा पुनर्वास के प्रावधानों के बावजूद देवदासी प्रथा पर रोक न लग पाना चिंता का विषय है।