विगत कई दशकों से भारतीय कृषि चिंताजनक स्थिति से गुजर रही है। हालांकि वर्ष 2016-17 में जीवीए के रूप में इसके 4-4 प्रतिशत की दर से वृद्धि अनुमानित है जो कि इससे पूर्व के वित्तीय वर्ष के 0.8 प्रतिशत वृद्धि दर से काफी अधिक है। परंतु वृद्धि दर में यह उछाल परंपरागत कृषि पद्धति पर अत्यधिक निर्भरता को ही दर्शाता है। वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 14% के आसपास है जो कि 1980 के दशक से आधी हो गयी है। यह कमी तब हुयी है जब देश की आधी आबादी कृषि एवं इससे जुड़ी गतिविधियों में संलग्न है।
क्या है स्मार्ट कृषि स्मार्ट कृषि, जिसे सटीक कृषि (precision agriculture) भी कहते हैं, वर्द्धित उत्पादकता (enhanced productivity),संवर्द्धित लोचकता (improved resilience) व कमतर दुष्प्रभावों के द्वारा उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि में बदलाव व पुनर्विन्यास है। बढ़ती आबादी, बढ़ती आय तथा बदलते उपभोक्ता पैटर्न व जीवनशैली की मांगों के अनुरूप कृषि उत्पादों की बढ़ती मांग से कदमताल मिलाने के लिए यही एकमात्र तरीका हो सकता है। उपर्युक्त बदलाव पैटर्न ने दूध एवं दुग्ध उत्पाद, अंडा व पोल्ट्री उत्पाद, फल व सब्जियां तथा मत्स्य उत्पादों जैसे उच्च मूल्य की वस्तुओं की मांग बढ़ायी है। इस वर्धित मांग ने कृषि भूमि, भूतल जल व जीवाष्म ईंधन जैसे सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर असर डाला है और स्मार्ट कृषि की आवश्यकता को और अनिवार्य कर दिया है। स्मार्ट फार्मिंग वस्तुतः सात ‘ई’ (E) के इर्द-गिर्द घूमती है_ कृषि की आर्थिक (economical) व्यावहार्यता, उच्चतर उत्पादकता के द्वारा उत्पादन में वृद्धि (enhancement), सीमित प्राकृतिक संसाधनों का कुशल (efficient) उपयोग जैसे कि जल, भूमि एवं श्रम संसाधन की प्रति इकाई उच्चतर उत्पादन, सीमित जीवाष्म ईंधन की ऊर्जा (energy) बचत, कृषि समुदाय में लाभों का समान वितरण (equitable), पर्यावरणीय/ पारिस्थितीकीय (environmental) सुरक्षा एवं उच्च आय स्तर सुनिश्चित करने के लिए रोजगार सृजन। आज के डिजिटल युग में स्मार्ट फार्मिंग से तात्पर्य आधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का कृषि में अनुप्रयोग शामिल है। देश की सूचना प्रौद्योगिकी क्षमताओं का लाभ कृषि क्षेत्र में की जा सकती है। इसी के आलोक में स्मार्ट फार्मिंग को तीसरी हरित क्रांति भी कहा जा रहा है। सटिक या छोटे उपकरण, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सेंसर, जीपीएस, बिग डाटा, यूएवी, राबोटिक्स जैसे आईसीटी अनुप्रयोग स्मार्ट कृषि के हिस्सा हैं। वैसे भारत में मौसम पूर्वानुमान, भू-उपयोग पैटर्न मानचित्रण, फसल मानचित्रण, मृदा परीक्षण व मृदा संवर्द्धन तकनीक इत्यादि के लिए सेंसर प्रौद्योगिकी में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। |
भारत में कृषि की जो मौजूदा स्थिति है वह तेजी से विकास कर रही भारतीय अर्थव्यवस्थाकी मांग को पूरा करने में असमर्थ होती दिख रही है।एक ओर हम कृषि क्षेत्र में स्थिरता व गिरावट की स्थिति देख रहे हैं तो दूसरी ओर जलवायु परिवर्तनव जल संकट भी चुनौतियां पेश कर रहा है। वहीं, साक्षरता एवं जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, डिजिटल माध्यम से अधिकाधिक लोगों के जुड़ने तथा डाटा क्रांति से सामाजिक-आर्थिक बदलाव भी होने लगा है। ऐसे में हमारे समक्ष कृषि सेक्टर की चुनौतियों से निपटने और आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर है।