विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा ग्लोबल ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स, 2017 जारी की गई। इस सूचकांक में नॉर्वे को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ तथा भारत को 55.29 स्कोर के साथ 103वें स्थान पर रखा गया। रिपोर्ट के अनुसार अभी तक मानव पूंजी का 62% भाग ही वैश्विक स्तर पर विकसित किया गया है।
ब्रिक्स देशों में भी भारत का स्थान सबसे नीचे है। इस सूची में रूस को 16वां, चीन को 34वां, ब्राजील को 77वां तथा दक्षिण अफ्रीका को 87वां स्थान प्राप्त हुआ। भारत वर्ष 2016 की इस सूची में 105वें स्थान पर था।
दक्षिण एशियाई देशों में श्रीलंका 70वें, नेपाल 98वें, बांग्लादेश 111वें तथा पाकिस्तान 125वें स्थान पर है। इसके अलावा भारत इस सूची में जी-20 देशों में भी सबसे नीचे है। सूचकांक के अनुसार राष्ट्रों ने अपने मानव पूंजी का विकास कैसे किया, यह किसी अन्य कारक की तुलना में उनकी दीर्घकालिक सफलता का एक महत्वपूर्ण निर्धारक हो सकता है। विश्व आर्थिक मंच द्वारा इस सूची में 130 देशों को इस आधार पर स्थान दिया है कि वे अपनी मानव पूंजी को कितनी अच्छी तरह विकसित कर रहे हैं। इसे चार विषयगत आयामों, पांच अलग-अलग आयु-समूहों के अंतर्गत विकसित किया गया है, जिसमें 0 सबसे खराब तथा 100 सर्वाेत्तम अंक है। 4 विषयगत आयाम, क्षमता, तैनाती, विकास और अनुभव हैं, जबकि 5 आयुसमूह 0-14 वर्ष, 15-24 वर्ष, 25-54 वर्ष, 55-64 वर्ष, तथा 65 वर्ष से अधिक हैं।
रोजगार लैंगिक अंतराल के पैमाने पर भी भारत सबसे निम्न स्थान पाने वाले देशों में से एक है, हालांकि ‘भविष्य के लिए कौशल की आवश्यकता के विकास’ (development of skills needed for the future) के मानक पर इसकी स्थिति थोड़ी बेहतर है, जिसमें 130 देशों में इसे 65वां स्थान प्राप्त हुआ है। भारत का श्रमशक्ति भागीदारी में, 35-54 आयु समूह की जनसांख्यिकी के अंतर्गत 118वां स्थान है, जो बेहद निराशाजनक है, इससे यह स्पष्ट होता है अधिकांश भारतीय असंगठित क्षेत्र के रोजगार में संलग्न हैं।