13वां विश्व पर्माकल्चर सम्मेलन तेलंगाना स्थित प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ। पर्माकल्चर में रूचि रखने वाले विश्व के 63 देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।
यह सम्मेलन प्रत्येक दो वर्षों पर आयोजित होता है। भारत में जीएम फसल की आलोचना करने वाले पर्माकल्चर को बेहतर विकल्प मानते हैं। वहीं विश्व के विशेषज्ञ पर्माकल्चर को सतत कृषि का बेहतर साधन मानते ही हैं साथ ही खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
1. पर्माकल्चर इथिक्सः पर्माकल्चर के इथिक्स में शामिल है_ पृथ्वी की देखभाल, लोगों की देखभाल एवं उचित हिस्सेदारी। इसमें सभी लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है। इसमें किसी को वरीयता नहीं दी जाती। इसका एक महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि पृथ्वी एक है और इसके संसाधनों को सभी सजीवों एवं भावी पीढि़यों के साथ साझा करना चाहिये।
2. पर्माकल्चर सिद्धांतः पर्माकल्चर के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं_
3. पर्माकल्चर रणनीतिः इसकी रणनीति में शामिल हैं; प्राकृतिक पारितंत्र का पुनर्निर्माण एवं सुरक्षा, जैवविविधता की सुरक्षा एवं अभिवृद्धि, जितना कम से कम संभव हो जमीन का इस्तेमाल करते हुये मानवीय आवश्यकताआं की पूर्ति।
क्या है पर्माकल्चर कृषि? पर्माकल्चर (Permaculture) कृषि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1973 में आस्ट्रेलियाई प्रोफेसर डेविड हॉमग्रेन एवं बिल मॉलिसन ने किया था। वैसे बिल मॉलिसन को इसका जनक माना जाता है। पर्माकल्चर पर्मा यानी स्थायी एवं कल्चर यानी खेती से बना है। इसका मतलब है स्थायी कृषि यानी पर्मानेंट एग्रीकल्चर। यह कृषि उत्पादकता पारितंत्र का सचेत डिजाइन एवं रखरखाव है जिसमें विविधता, स्थायित्व एवं प्राकृतिक पारितंत्र के प्रति सामंजस्य भी शामिल है।पर्माकल्चर परंपरागत एवं नई अभिक्रियाओं पर बल देता है जिसमें सभी प्रकार का निवेश या इनपुट खेत में ही उत्पादित होता है जो खाद्य आत्म-निर्भरता को बढ़ावा देता है। यह छोटे किसानों को ध्यान में रखकर डिजाइन की गई है जिससे की उन्हें कम भूमि पर भी अत्यधिक उत्पादन प्राप्त हो सके, उनका काम आसान हो सके साथ ही वे पर्यावरणीय क्षरण को भी संबोधित कर सके। यह सतत रहन-सहन को सृजित करता है। इसका केंद्रीय थीम है; पर्यावरण को हानि पहुंचाये बिना मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली मानवीय प्रणाली का सृजन। |
पर्माकल्चर के लाभः पर्माकल्चर के कई लाभ हैं। एक तो यह कि इसमें कृषि के साथ जैव विविधता को बनाये रखा जाता है। कम से कम भूमि अधिकाधिक उत्पादन का प्रयास किया जाता है। इसमें खेत ही उर्वरक का भी उत्पादन करते हैं जिससे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता समाप्त हो जाती है और बचत होती है। इसमें बारहमासी पौधों के रोपण पर बल दिया जाता है जिससे श्रम की बचत होती है। सबसे प्रमुख बात यह है कि पर्माकल्चर केवल खाद्य सुरक्षा पर बल नहीं देता है वरन् यह खाद्य की विविधता, बीज सुरक्षा, पारितंत्र का पोषण तथा सबसे महत्वपूर्ण समुदायों के स्वास्थ्य की सुरक्षा पर भी बल देता है।