ई-गवर्नेंस के क्रियान्वयन एवं निर्माण में कई चिंताएं एवं सबल कारक अंतर्निहित हैं।
पारदर्शिता एवं जवाबदेही का असत्य बोधः ऑनलाइन सरकारी पारदर्शिता द्विअर्थी प्रतीत होती है क्योंकि इसे स्वयं सरकार नियंत्रित करती है। सूचनाओं को इंटरनेट साइट से लोगों के लिए रखना या हटाना सरकार द्वारा किया जाता है। उदाहरणार्थ, न्यूयार्क शहर में 11 सितम्बर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका ने अपनी सरकारी वेबसाइट से राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अधिकतर सूचनाएं हटा दी।
लागतः ई-गवर्नेस में इससे सम्बद्ध प्रौद्योगिकी के विकास एवं क्रियान्वयन में अत्यधिक धन व्यय होता है।
तकनीकी उपकरणों की मुश्किल से प्राप्तिः ई-गवर्नेस में कंप्यूटर, बेतार, संजाल, सीसीटीवी, ट्रेकिंग तंत्र, टीवी और रेडियो जैसे उपकरणों का प्रयोग शामिल होता है। विकासशील देशों में इस प्रकार तकनीकियों को अपनाना एक समस्या हो सकती है।
अत्यधिक निगरानीः सरकार एवं इसके नागरिकों के बीच बढ़ता संपर्क दोनों तरीके से कार्य कर सकता है। एक बार ई-गवर्नमेंट विकसित होना शुरू हो जाती है और बेहद परिष्कृत बन जाती है, तो नागरिकों को व्यापक पैमाने पर सरकार के साथ इलेक्ट्रॉनिक रूप से संपर्क करने के लिए बाध्य किया जाएगा। सम्भावना है की इससे नागरिकों की निजता भंग होगी। सरकार एवं नागरिकों के बीच इलेक्ट्रॉनिक रूप से अत्यधिक सूचनाओं का आदान-प्रदान निरंकुश व्यवस्था को जन्म दे सकता है।
सभी की पहुंच में न होनाः ई-गवर्नेस से आशयलगाया जाता है कि सरकार की सूचना एवं सेवाओं तक सभी नागरिकों की पहुंच हो सकती है और जो एक लोकतंत्र के लिए अच्छा है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है की सभी नागरिक स्वतः सूचना एवं सेवाओं को प्राप्त करने की स्थिति में हैं।
ई-गवर्नेंस के उद्देश्य
नई चुनौतियों का सामना करने में गैर-सरकारी संगठनों, व्यवसायियों एवं इच्छुक नागरिकों को प्रभावी रूप से शामिल करना।
सूचना युग में नागरिकों की इच्छाओं की सुव्यवस्था की योग्यता प्राप्त करना।
सरकार में लोगों के विश्वास में वृद्धि करना
सरकार की जवाबदेही एवं पारदर्शिता बढ़ाना
ई-गवर्नेंस की उपयोगिता
ज्ञान-आधारित भारत के निर्माण में ई-गवर्नेस एक महत्वपूर्ण कारक है।
विभिन्न योजनाओं/परियोजनाओं की जानकारी एक आम आदमी तक इंटरनेट के माध्यम से पहुंचायी जा सकती है ताकि वे उसके बारे में जान सकें एवं लाभान्वित हो सकें।
सूचनाएं सीधे सम्बद्ध व्यक्ति तक पहुंच सकेंगी और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो सकेगी जो शोषण का एक कारक है।
ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग भी देश-विदेश के घटनाक्रम से भली-भांति परिचित हो सकेंगे।
इसके माध्यम से योजनाओं एवं दस्तावेजों का सुव्यवस्थित रख-रखाव संभव हो सकेगा।