अनियंत्रित, अत्यधिक तीव्र एवं असहनीय ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता को ‘डेसिबल इकाई’ में मापा जाता है। शून्य डेसिबल, ध्वनि की तीव्रता का वह स्तर है जहाँ से ध्वनि सुनाई देने लगती है। फुसफुसाहट में बोलने पर ध्वनि की तीव्रता 30 डेसिबल होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार 40 से 50 डेसिबिल तक की ध्वनि मनुष्य के सहने लायक होती है। उससे अधिक की तीव्रता की ध्वनि मनुष्य के लिये हानिकारक होती है। मानव के परिप्रेक्ष्य में ध्वनि का स्तर निम्न प्रकार है-
क्र.सं. |
क्रिया |
ध्वनि का स्तर (डेसिबल में) |
1. |
सामान्य श्रवण की सीमा |
20 |
2. |
सामान्य वार्तालाप |
50-60 |
3. |
सुनने की क्षमता में गिरावट |
75 |
4. |
चिड़चिड़ाहट |
80 |
5. |
मांस-पेशियों में उत्तेजना |
90 |
6. |
दर्द की सीमा |
120 |
ध्वनि प्रदूषण का कारण
ध्वनि प्रदूषण का नियंत्रण