वायु प्रदूषण

मानव को प्रकृति प्रदत्त एक निःशुल्क उपहार मिला है और वह है- वायु। यह उपहार सभी जीवों का आधार है। मानव बिना भोजन एवं बिना जल के कुछ समय भले ही व्यतीत कर ले, बिना वायु के वह दस मिनट भी जीवित नहीं रह सकता। यह अत्यंत चिन्ता का विषय है कि प्रकृति प्रदत्त जीवनदायिनी वायु लगातार जहरीली होती जा रही है। शहरों का असीमित विस्तार, बढ़ता औद्योगीकरण, परिवहन के साधनों में लगातार वृद्धि तथा विलासिता की वस्तुएं (जैसे- एयरकन्डीशनर, रेफ्रिजरेटर आदि) वायु प्रदूषण को लगातार बढ़ावा दे रही हैं।

वायुमण्डल में प्रमुख गैसों की सान्द्रता निम्न प्रकार हैं-

1.

नाइट्रोजन

79.20 प्रतिशत

2.

ऑक्सीजन

20.60 प्रतिशत

3.

कार्बन डाइऑक्साइड

0.20 प्रतिशत

4.

अन्य

अति सूक्ष्म रूप में

विभिन्न वायु प्रदूषक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं। वायुमण्डल में इन विषाक्त गैसों की उपस्थिति के कारण स्मॉग (स्मोक + फॉग) का निर्माण होता है। लंदन एवं लॉस एंजेल्स में स्मॉग निर्माण से अनेक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। हमारे देश में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मिथाइल आइसो सायनाइड गैस से वायु इतनी प्रदूषित हुई जिससे हजारों लोग मौत एवं विकलांगता का शिकार हो गए। प्रदूषित वायु मानव के श्वसन-तंत्र को कुप्रभावित करती है।

वायु प्रदूषण को रोकने हेतु प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. वायु प्रदूषण रोकने में वृक्षों का सबसे बड़ा योगदान है। पौधे वायुमण्डलीय कार्बन डाइ ऑक्साइड अवशोषित कर हमें प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। अतः सड़कों, नहर पटरियों तथा रेल लाइन के किनारे तथा उपलब्ध रिक्त भू-भाग पर व्यापक रूप से वृक्ष लगाए जाने चाहिए ताकि हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ वायुमण्डल भी शुद्ध हो सके। औद्योगिक क्षेत्रें के निकट हरि पट्टियाँ विकसित की जानी चाहिए जिसमें ऐसे वृक्ष लगाए जायें जो चिमनियों के धुएँ से आसानी से नष्ट न हों तथा घातक गैसों को अवशोषित करने की क्षमता रखते हों। पीपल एवं बरगद आदि का रोपण इस दृष्टि से उपयोगी है।
  2. औद्योगिक इकाइयों को प्रयास करना चाहिए कि वायुमण्डल में फैलने वाली घातक गैसों की मात्र निर्धारित मानकों के अनुसार रखें जिसके लिये प्रत्येक उद्योग में वायु शुद्धिकरण यंत्र अवश्य लगाए जाएं।
  3. उद्योगों में चिमनियों की ऊँचाई पर्याप्त होनी चाहिए ताकि आस-पास कम से कम प्रदूषण हो।
  4. पेट्रोल कारों में कैटेलिटिक कनवर्टर लगाने से वायु प्रदूषण को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। इस प्रकार की कारों में सीसा रहित पेट्रोल का प्रयोग किया जाना चाहिये।
  5. घरों में धुआँ रहित ईंधनों को बढ़ावा देना चाहिये।
  6. जीवाश्म ईंधनों (पेट्रोलियम, कोयला), जो वायुमण्डल को प्रदूषित करते हैं, का प्रयोग कुछ कम करके सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसी वैकल्पिक ऊर्जाओं का प्रयोग किया जा सकता है।

विभिन्न गैसों का घातक प्रभाव निम्न प्रकार हैं

क्र.

प्रदूषक

प्रभाव

1.

कार्बन मोनो ऑक्साइड

रक्त के हीमोग्लोबिन से मिलकर विषैला पदार्थ कार्बाक्सीहीमोग्लोबिन बनता है तथा अनेक व्याधियां पैदा करता है।

2.

क्लोरीन

आँख, नाक, गले में जलन, आँखों में सूजन तथा खाँसी की बीमारी

3.

धूलकण

एलर्जी, साँस के रोग, रेत की अधिकता से सिलकोसिस नामक रोग

4.

एसबेस्टस कण

एस्बेस्टॉसिस नामक रोग

5.

लेड कण लेड

विषाक्तता तथा कैंसर

6.

मैगनीज कण

निमोनिया व साँस की बीमारी

7.

हाइड्रोजन सल्फाइड

नाक, कान, गले में जलन, लकवा

8.

हाइड्रोजन फ्लोराइड

बच्चों की शारीरिक संरचना में विकृति तथा फ्लोरोसिस

9.

हाइड्रोजन के ऑक्साइड

श्वसन क्रिया अवरूद्ध होने से फेफड़ों में धूलकण व कजली का अधिक प्रवेश।

10.

फास्जीन

खाँसी, क्षोभ को प्रेरित करती है।

11.

पारे की वाष्प

अत्यंत विषैला होने की वजह से पारे की विषाक्तता हो जाती है।

12.

नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड

जलन, फेफड़ों के रोग तथा दृष्टि की समस्या होती है।

14.

सल्फर डाइ ऑक्साइड

सिरदर्द, उल्टी, साँस लेने में तकलीफ तथा मृत्यु दर में वृद्धि।

15.

रेडियोधर्मी कण

मुख्यतः कैंसर तथा आगे की पीढ़ी में संतानों में विकृति होना तथा आयु भी घटती है।