इनसैट प्रणाली

भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली, इनसैट (INSAT), एक बहुउद्देशीय प्रणाली है। यह अंतरिक्ष विभाग, दूरसंचार विभाग, भारतीय मौसम विभाग, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन का संयुक्त उद्यम है। इनसैट कार्यक्रम की व्यवस्था और संचालन की जिम्मेदारी अंतरिक्ष विभाग की है। 1983 में इनसैट-1 बी संबंधी कार्य की शुरुआत के साथ ही इनसैट प्रणाली की स्थापना हुई। इनसैट-1डी 1990 में छोड़ा गया, जबकि देश में निर्मित इनसैट-2ए जुलाई 1992 में यूरोपीय प्रक्षेपण यान एरियन से छोड़ा गया और अगस्त 1992 में इसने काम करना शुरू कर दिया। इनसैट-2बी को 23 जुलाई, 1993 को तथा 1996 में इनसैट-2सी को एरियन से अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा गया। इसशृंखला के चौथे उपग्रह इनसैट-3ई का प्रक्षेपण 28 सितंबर, 2003 को किया गया। 22 दिसंबर, 2006 को इनसैट-4 ए एवं 2 सितम्बर, 2007 को इनसैट-4 सी आर के सफल परीक्षण के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम ने चतुर्थ श्रेणी के उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में प्रवेश कर लिया।

दूरसंवेदी उपग्रह प्रणाली

सूचना संग्राहक साधनों की मदद से दूरस्थ वस्तुओं, लक्ष्यों या प्रतिक्रियाओं से संबंधित सूचनाएं प्राप्त करने की पद्धति सुदूर संवेदन कहलाती है। इसमें छायाचित्र और विद्युतचुबंकीय अभिलेख प्राप्त करना एवं उनका प्रसंस्करण व विश्लेषण की विधियां सम्मिलित की जाती है। किसी भी सुदूर संवेदना प्रणाली के तीन मुख्य भाग होते हैं: प्रेषक व अभिग्राही-केन्द्रद्वय, संचार माध्यम तथा उपग्रह। विविध तत्त्वों द्वारा उत्सर्जित विद्युत-चुम्बकीय विकिरणों को ग्रहण करने वाले यंत्र/वस्तु संवेदक कहलाते हैं। राडार, लिडार तथा सार जैसे सक्रिय संवेदक स्वयं विद्युत चुंबकीय तंरगे उत्पन्न कर इनके परावर्तन को मापते हैं। दूसरी ओर, कैमरे, मल्टीस्पेक्ट्रल स्कैनर्स आदि निष्क्रिय संवेदक सौर विद्युत चुंबकीय विकिरणों को दर्ज करते हैं।

भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान और उनके द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह

प्रक्षेपण यान

उपग्रह

तिथि

परिणाम

एस-एल-वी- -3

रोहिणी भू-परीक्षण के लिए

10 अगस्त, 1979

असफल

एस-एल-वी- -3

रोहिणी भू-परीक्षण के लिए

18 जुलाई, 1980

सफल

एस-एल-वी -3

रॅोहिणी वैज्ञानिक

31 मई, 1981

असफल

एस-एल-वी- -3

रोहिणी वैज्ञानिक

17 अप्रैल, 1983

सफल

ए-एस-एल-वी- डी-1

स्रॉस-1 प्रौद्योगिकी

24 मार्च, 1987

असफल

ए-एस-एल-वी- डी-2

स्रॉस-2 प्रौद्योगिकी

13 जुलाई, 1988

असफल

ए-एस-एल-वी- डी-3

स्रॉस-3 प्रौद्योगिकी

20 मई, 1992

सफल

पी-एस-एल-वी- डी-1

आई-आर-एस--पी- 1

20 सितम्बर, 1993

असफल

पी-एस-एल-वी- डी-2

आई-आर-एस--पी- 2

15 अक्टूबर, 1994

सफल

पी-एस-एल-वी- डी-3

आई-आर-एस--पी- 3

21 मार्च, 1996

सफल

पी-एस-एल-वी- सी-1

आई-आर-एस- 1-डी

29 सितम्बर, 1997

सफल

पी-एस-एल-वी- सी-2

आई-आर-एस--पी- 4

26 मई, 1999

सफल

जी-एस-एल-वी- डी-1

जीसैट-1

18 अप्रैल, 2001

सफल

पी-एल-एल-वी- सी-3

तीन उपग्रह

22 अक्टूबर, 2001

सफल

पी-एस-एल-वी-सी--4

मैटसैट (कल्पना-1)

12 सितंबर, 2002

सफल

जी-एस-एल-वी-डी-2

जी-सैट-2

8 मई, 2003

सफल

पी-एस-एल-वी-सी--5

आई-आर-एस-पी--6/रिसोर्ससैट-प्

17 अक्टूबर, 2003

सफल

जी-एस-एल-वी-एफ--1

एडुसैट

20 सितंबर, 2004

सफल

पी-एस-एल-वी-सी--6

कार्टोसैट-1

05 मई, 2005

सफल

पी-एस-एल-वी- सी-7

कार्टोसेट-2 एवं एसआई-1

10 जनवरी, 2007

सफल

पी-एस-एल-वी- सी-7

लापान टबसैट (इंडोनेशिया) एवं (पेहुनसैट-1) अर्जेंटीना

10 जनवरी, 2007

सफल

पी-एस-एल-वी--सी-8

एजाइल (इटली)

23 अप्रैल, 2007

सफल

जी-एस-एल-वी--एफ-02

इनसैट-4 सीआर

2 सितंबर, 2007

सफल

पी-एस-एल-वी--सी-9

8 विदेशी एवं 2 भारतीय

28 अप्रैल, 2008

सफल

पी-एस-एल-वी--सी-10

इजराइल का टेक्सार उपग्रह

21 जनवरी, 2008

सफल

पी-एस-एल-वी--सी-11

चन्द्रयान-1

22 अक्टूबर, 2008

सफल

पी-एस-एल-वी--सी-12

रिसैट-2 और अनुसैट

20 अप्रैल, 2009

सफल

पी-एस-एल-वी--सी-14

ओशनसैट-2 और 6 नैनो उपग्रह

23 सितंबर, 2009

सफल

जी-एस-एल-वी--डी-3

जीसैट-4

15 अप्रैल, 2010

असफल

पी-एस-एल-वी--सी-15

कार्टोसैट-2वी स्टडसैट

12 जुलाई, 2010

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 16

रिसोर्स सैट-2 यूथसैट, एक्ससैट

20 अप्रैल, 2011

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 17

जी सैट-12

15 जुलाई, 2011

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 18

मेघा ट्रॉपिक्स, एसआरएमसैट जुग्नू,

12 अक्टूबर, 2011

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 19

रिसैट-1

26 अप्रैल, 2012

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 21

स्पॉट-6 और प्रॉटर्स

9 सितंबर, 2012

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 20

सरल (SARAL)

25 फरवरी 2013

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 22

आई-आर-एन-एस-एस-1ए

1 जुलाई 2013

सफल

पी-एस-एल-वी--सी 25

मार्स आर्बिटर मिशन स्पेसक्राफ्ट

5 नवंबर 2013

सफल

जीएसएलवी-डी5

जीसैट - 14

05-01-2014

सफल

पीएसएलवी-सी24

IRNSS-1B

04-04-2014

सफल

पीएसएलवी-सी23

स्पांट-7 व 4 अन्य

30-06-2014

सफल

पीएसएलवी-सी26

IRNSS-IC

16-10-2014

सफल

पीएसएलवी-सी 27

IRNSS-ID

28-03-2015

सफल

पीएसएलवी-सी 28

DMC3

10-07-2015

सफल

जीएसएलवी-डी 6

जीसैट-6

27-08-2015

सफल

पीएसएलवी-सी 30

एस्ट्रोसैट

28-09-2015

सफल

एरियन 5VA-227

जीसैट-15

11-11-2015

सफल

पीएसएलवी-सी 34

कार्टोसैट

22-06-2016

सफल

पीएसएलवी-सी 35

स्कैटसैट-1

26-09-2016

सफल

एरियन 5VA-231

जीसैट-18

06-10-2016

सफल

पीएसएलवी-सी 36

रिसोर्ससैट-2A

07-10-2016

सफल

पीएसएलवी-सी 37

कार्टोसैट-2डी

15-02-2017

सफल

जीएसएलवी-एफ 09

जीसैट-9

05-05-2017

सफल

जीएसएलवी-एमके- III

जीसैट-19

05-05-2017

सफल

पीएसएलवी-सी 38

कार्टोसैट-2ई

23-06-2017

सफल

एरियन 5VA-238

जीसैट-17

29-06-2017

सफल

पीएसएलवी-सी 40

कार्टोसैट-2ई

12-01-2018

सफल

पीएसएलवी-एफ 08

कार्टोसैट-6ए

29-03-2018

सफल

आधुनिक उपग्रहों में संकरित संवेदकों का प्रयोग किया जाता है। भारतीय दूरसंवेदी प्रणाली इसरो के द्वारा संचालित की जाती है। प्रणाली में शीर्षस्थ है राष्ट्रीय सुदूर संवेदन अभिकरण (एन-आर-एस-ए-, हैदराबाद), जबकि दूरसंवेदी चित्रें का विश्लेषण इंडियन फोटो इंटरप्रिटेशन इंस्टीट्यूट (देहरादून) में किया जाता है। भारत के पास दूरसंवेदी उपग्रहों (आई-आर-एस ) का सबसे बड़ा बेड़ा है। इन उपग्रहों ने विविधस्पेक्ट्रल विन्यासों में 360 मीटर से 6 मीटर तक के स्थानिक विभेदनवाले चित्रें का विशाल कोष बनाने में मदद की है।

भुवन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गूगल अर्थ के विकल्प और इसके मुकाबले अधिक अपडेट ‘भूवन’ नामक वर्चुअल ग्लोब इन्फ़रमेशन कार्यक्रम लांच किया है। इसमें गूगल अर्थ की अपेक्षा अधिक रिजोल्यूशन पर तस्वीरें प्राप्त की जा सकेंगी। इससे मिली तस्वीरों का आपदा प्रबंधन, सैन्य अभियानों सहित अन्य कई जगहों पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। गूगल अर्थ में 1 मीटर से भी कम दूरी के स्थानों को प्रदर्शित किया जा रहा है लेकिन फ्भुवनय् से 5 मीटर दूरी तक की ही तस्वीरें प्राप्त की जा सकेंगी।