पितृसत्तात्मक संरचनाः पुरुष को हर मामले में महिलाओं से श्रेष्ठ समझना, इससे महिलाओं के प्रति व्यवहार में विभिन्न प्रकार की जटिलताएं आती हैं, महिला को नीचा दिखाने के लिए उसका उत्पीड़न, पुरुषों द्वारा अभद्र टिप्पणी, अप्रिय व्यवहार, गंदी फोटो या विडियो दिखाना।
यौन विकृतिः कुछ लोगों में विकृत यौन मानसिक प्रवृत्ति यौन उत्पीड़न का कारण है।
कार्यस्थल पर ईर्ष्याः पुरुष कर्मचारी का अपने नियोक्ता द्वारा अपनी सहयोगी सफलता, पदोन्नति प्राप्त करते हुए नहीं देखना। ईर्ष्या के कारण विकृत यौन व्यवहार करना, सामान्य धारणा की महिलाएं कभी भी पुरुषों से बेहतर नहीं हो सकती।
अवमानना और अपमान की भावनाः आम धारणा कि महिलाएं केवल पुरुषों द्वारा अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने का माध्यम होती हैं, अपने घर की महिलाओं का सम्मान करना तथा अन्य महिलाओं का सम्मान न करना।
पुरुष श्रेष्ठताः पितृसत्तात्मक व्यवस्था की सामाजिक स्थितियों के चलते अगली पीढि़यों में इस तरह की भावना का प्रेषित होना, इस तरह की भावना से यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों का जन्म होना।
यौन उत्पीड़न का प्रभाव
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले में या तो महिलाएं खामोश रहती हैं या नौकरी छोड़ देती हैं। आम महिला के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ना मुश्किल होता है। महिलाओं के अस्तित्व, उनकी सेहत और उनके श्रम को चोट पहुंचता है। समाज और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।
काम के समान अवसर, समान काम के लिए समान अवसर जैसी तमाम बातें महिलाओं के मौलिक अधिकार हैं। लंबे समय तक यौन शोषण या उत्पीड़न होने पर महिला की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है तथा वह तनाव में रहने लगती है। पीडि़त महिलाएं ‘स्लीप डिस्ऑर्डर' (निद्रा रोग) से ग्रसित हो जाती है, क्योंकि वह नींद की दवाइयां आदि का सेवन करना शुरु कर देती हैं।