आर्थिक कारणः
सामान्यतः गरीबी, जहां पिता द्वारा काम नहीं किया जाता या वह शराबी या अन्य व्यसन का शिकार होता है। बंधुआ मजदूरी का होना, वित्तीय दबाव और भोजन, वस्त्र व आवास की जरुरत। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण या हिंसा के कारण बच्चों का घर से भागना।
सामाजिक कारणः
बाल मजदूर नियोजित करना सस्ता होना तथा कम भुगतान में उपलब्ध हो जाना तथा टेªड यूनियन का हिस्सा न होना। अनेक उद्योग जैसे बीड़ी रोलिंग, माचिस बनाने आदि के काम में ज्यादा कौशल की जरुरत न होना। आम सामाजिक धारणा कि उन्हें काम नहीं दिया गया तो वह गरीबी के कारण भुखमरी का शिकार हो सकता है। माता-पिता की अशिक्षा, सामाजिक उदासीनता, अज्ञानता, शिक्षा और अवसर का अभाव।
सरकारी कारणः
बाल श्रम कानूनों को उनके मूल रूप से लागू न किया जाना। व्यावहारिक व स्वस्थ विकल्पों को प्रस्तुत न कर पाना। अनाथ या अकेले छोड़ दिए गए बच्चों के शोषण के विरुद्ध स्थायी तंत्र की व्यवस्था का अभाव। भारत के आजादी के 67 साल के बाद भी सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा देने में विफलता।
औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक प्रभाव
विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बाल मजदूरों को रोजगार देने को तरजीह देना। आम धारणा कि उन्हें कम मजदूरी पर रखकर अधिक काम लिया जा सकता है।
बाल श्रम का प्रभाव
बालक के शारीरिक, मानसिक, नैतिक आध्यात्मिक विकास व क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव, कुपोषण, बाल अपराध, संस्कारहीनता, पारिवारिक मूल्यों में अवनति।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
बीड़ी फैक्ट्री में काम करने वाले बच्चों में तंबाकू के धूल से फेफड़े का रोग होना, खदानों में काम करने वाले बच्चों में सिलिकोसिस रोग का होना, स्वास्थ्य समस्याओं से कम उम्र में ही मृत्यु का कारण बनना।
राष्ट्रीय उन्मूलन के प्रयास