रुपए का अवमूल्यन

डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत में लगातार गिरावट की वजह से सितम्बर 2016 में रिकॉर्ड 67.07 रु. के स्तर पर पहुंच गया। भारतीय निर्यातकों को ऐसे देशों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है जो अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किए हुए है। अवमूल्यन से निर्यातकों को फायदा होता है लेकिन बहुत अधिक अवमूल्यन नहीं होना चाहिए।

कारण

  • तेल का बढ़ता मूल्य
  • स्वर्ण का बढ़ता मूल्य
  • मध्य पूर्व में अशांति
  • आर्थिक मंदी के कारण भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव।
  • अमेरिका में निवेश बढ़ने से डॉलर की मांग में वृद्धि।

परिणाम

  • बढ़ती हुई महंगाई
  • निवेशकों में अविश्वास का उत्पन्न होना।

उपाय

  • अनावश्यक वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध।
  • सरकारी खर्चे में कटौती
  • अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश में विभिन्न सुधारों द्वारा बढ़ोतरी की जाए।
  • पूंजी के बाह्य प्रवाह पर रोक