डॉलर के मुकाबले रूपये की कीमत में लगातार गिरावट की वजह से सितम्बर 2016 में रिकॉर्ड 67.07 रु. के स्तर पर पहुंच गया। भारतीय निर्यातकों को ऐसे देशों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है जो अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किए हुए है। अवमूल्यन से निर्यातकों को फायदा होता है लेकिन बहुत अधिक अवमूल्यन नहीं होना चाहिए।
कारण
परिणाम
उपाय