बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का समय पर सफलतापूर्वक पूरा हो जाना एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इसके बारे में 5 दशक पहले योजना बनाई गई थी। बुलेट ट्रेन वस्तुतः जापान की तकनीकी/अभियांत्रिकी क्षमता का प्रतीक है। इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ने जापान की अभियांत्रिकी क्षमता, कौशल तथा विशेषज्ञता का वास्तविक अर्थों में परिलक्षित किया तथा इसके सफलतापूर्वक पूरा हो जाने से विश्व का नजरिया जापान के प्रति बदल गया। इसी प्रकार चीन ने भी हाई स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट पर अपना ध्यान केंद्रित किया तथा अपनी अभियांत्रिकी क्षमता का परिचय दिया। जापान के प्रधानमंत्री का गुजरात आगमन हुआ और उनके द्वारा मुम्बई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट का शिलायान्यास किया गया। इस बात की उम्मीद है कि जापान और चीन की तरह भारत में भी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत की तस्वीर बदलने में कामयाब हो सकता है।
भारत कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में पहले ही सफलता हासिल कर चुका है जिनमें शामिल हैं- स्विर्णम चतुर्भुज योजना जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित है। इससे भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी हुई है, यातायात की क्षमता में इजाफा हुआ है तथा विभिनन स्थानों को जोड़ने में सहायक बनकर इसने ग्रामीण विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन में भी बढ़ोतरी की है। यह प्रोजेक्ट सही समय पर शुरू किया गया है क्योंकि बार-बार दुर्घटना तथा भारतीय रेल के संवर्द्धन को लेकर काफी चर्चाएं होती आ रही थी। इस प्रोजेक्ट से सुरक्षा एवं अवसंरचना संबंधी चुनौतियों पर अब ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा। परंतु भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट ने कुछ सवाल भी खड़े किए हैं। कहा जा रहा है कि क्या यह प्रोजेक्ट भारत के संसाधन का सही इस्तेमाल है? वस्तुतः संसाधन भारतीय रेल के समक्ष कई चुनौतियों में से एक है। भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के संबंध में भी कभी ऐसी ही बहस छेड़ी गई थी जबकि इस प्रोग्राम ने आगे कई उपलब्धियां हासिल की।
मुम्बई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट के तीन लाभ हैं-
भारत के आर्थिक विकास में अवसंरचना विकास के लिए निवेश करना हमेशा से एक उत्प्रेरक रहा है। बुलेट रेल प्रोजेक्ट से लोक निवेश को काफी मदद मिलेगी। जापान सरकार द्वारा साफ्रट फंडिंग (कम ब्याज दर पर कर्ज) एक अन्य लाभ है जो बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को हासिल है। इससे दो देश एक दूसरे के करीब आ रहे हैं जिसका आर्थिक लाभ दोनों को मिलेगा। इससे स्थानीय उद्योगों के उत्पाद की मांग तो बढ़ेगी ही साथ ही इस प्रोजेक्ट से कुशल और अकुशल दोनों ही श्रमिकों को भी रोजगार मिलेगा।
हाई स्पीड रेलवे ऊर्जा तथा ईंधन के मामले में भी किफायती है। शोध के अनुसार ईंधन और ऊर्जा के मामले में यह हवाई जहाज से 3 गुणा बेहतर और सक्षम है तथा कार से पांच गुणा सक्षम एवं किफायती। मुम्बई-अहमदाबाद कारीडोर में यातायात के घनत्व को देखते हुए यह भी संभव है कि इससे भारत के कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आएगी।
इस प्रोजेक्ट के अधिकांश भाग में नई प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो भारतीय कंपनियों को मिलने वाली है। इनमें से अधिकांश प्रौद्यागिकी वर्तमान में भारत में उपलब्ध नहीं है और भारत में इन प्रौद्योगिकी से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलने की आशा है। इसके अलावा एक हाई स्पीड रेलवे ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी बड़ौदा में खोला जाने वाला है। इस संस्थान में सभी आधुनिक उपकरण उपलब्ध होंगे तथा इस संस्था में 2020 से काम शुरू हो जाएगा। अगले 3 वर्ष में इस संस्थान में 4000 स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी।