राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, (National Food Security Act- NFSA) 2013 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- NFSA केंद्र और राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार की संयुक्त ज़िम्मेदारी को परिभाषित करता है।
- अधिनियम, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए क़ानूनी तौर पर ग्रामीण आबादी के 85% और शहरी आबादी के 60% तक लोगों को अधिकार देता है।
- यह लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) में सुधार का प्रावधान करता है, जिसमें खाद्य अधिकारों के प्रावधानीकरण के लिए नकद हस्तांतरण (Cash transfers) जैसी योजनाएं शामिल हैं।
ऊपर दिया गए कथनों में से कौन स कथन सही है?
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Explanation :
संदर्भ: हाल ही में, NITI Aayog ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 को संशोधित करने का प्रस्ताव दिया है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में पेश किया गया था।
उद्देश्य
मानव जीवन चक्र दृष्टिकोण में भोजन और पोषण सुरक्षा प्रदान करने और गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए लोगों को सस्ती क़ीमतों पर पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता वाले भोजन की पहुंच सुनिश्चित करना।
मुख्य विशेषताएं (Salient Features)
- यह लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत ग्रामीण आबादी के 75% तक और शहरी आबादी के 50% तक के लोगों को सब्सिडी वाले खाद्यानों की पहुंच प्रदान करता है, इस प्रकार यह लगभग देश की दो-तिहाई आबादी को भोजन प्रदान करता है।
- इस योजना के पात्र प्रत्येक व्यक्ति को प्रति महीने 5 किलोग्राम खाद्यान अनुदानित मूल्य पर प्राप्त करने का हकदार होगा, जिसमें उन्हें3/2/1 प्रति किलोग्राम के हिसाब से चावल / गेहूं / मोटे अनाज प्राप्त होते हैं।
- मौजूदा अंत्योदय अन्न योजना (Antyodaya Anna Yojana- AAY)) के तहत जो गरीब से गरीब व्यक्ति हैं, उसे प्रति माह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्राप्त होता रहेगा।
- इस अधिनियम में महिलाओं और बच्चों के पोषण संबंधी सहायता पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भोजन के अलावा और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद, ऐसी महिलाएं 6,000 रुपये का मातृत्व लाभ पाने की हकदार होंगी।
- 14 वर्ष तक के बच्चे निर्धारित पोषण मानकों के अनुसार पौष्टिक भोजन के हकदार होंगे।
- खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में, लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त होगा।
- अधिनियम में जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने के प्रावधान भी हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जिम्मेदारियां (Responsibilities under NFSA)
- NFSA केंद्र और राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार की संयुक्त जिम्मेदारी को परिभाषित करता है।
- केंद्र, राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक खाद्यान्न आवंटन और प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में नामित / निर्दिष्ट डिपो तक खाद्यान्न का परिवहन के लिए ज़िम्मेदार है, तथा भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India- FCI) के गोदामों से उचित मूल्य की दुकानों (Fair Price Shops- FPS) तक खाद्यान्न वितरण के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता प्रदान करता है।
- अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य / केंद्र शासित प्रदेश ज़िम्मेदार हैं, इसमें परस्पर पात्र परिवारों की पहचान करना, उन्हें राशन कार्ड ज़ारी करना, उचित मूल्य की दुकानों (FPS) के माध्यम से पात्र परिवारों को खाद्यान्न का वितरण करना, उचित मूल्य की दुकान के डीलरों को लाइसेंस ज़ारी करना और उनकी निगरानी करना, प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र (effective grievance redressal mechanism) स्थापित करना, क्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के आवश्यक सुदृढ़ीकरण शामिल है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण- डीबीटी (Direct Benefit Transfer- DBT)
- यह लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) में सुधार का प्रावधान करता है, जिसमें खाद्य अधिकारों के प्रावधानीकरण के लिए नकद हस्तांतरण (Cash transfers) जैसी योजनाएं शामिल हैं। नकद हस्तांतरण के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम धारा- 12 के तहत प्रावधानों को सक्षम करने के दौरान सरकार ने अगस्त 2015 में खाद्य सब्सिडी का नकद अंतरण नियम, 2015 (Cash Transfer of Food Subsidy Rule, 2015) अधिसूचित किया।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के प्रयोग का लक्ष्य है-
- खाद्यान्नों के विशाल भौतिक आवागमन की आवश्यकता को कम करना
- लाभार्थियों को उनकी खपत की सीमा चुनने के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान करना
- आहार विविधता में वृद्धि करना
- भ्रष्टाचार को कम करना
- बेहतर लक्ष्यीकरण की सुविधा देना
- वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना