एटालिन पनबिजली परियोजना
हाल ही में, केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित 3,097 मेगावाट की एटालिन पनबिजली परियोजना की जैव विविधता अध्ययन की सिफारिश की। एटालिन परियोजना के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- प्रस्तावित पनबिजली परियोजना का निर्माण अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता संपन्न दिहांग घाटी में प्रस्तावित है।
- इस परियोजना में टैंगो और दिर नदियों पर दो ठोस गुरुत्व बांधों का निर्माण शामिल है।
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Explanation :
- अरुणाचल प्रदेश पनबिजली विकास निगम और जिंदल पावर लिमिटेड (JPL) की संयुक्त उद्यम एटालिन हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड (EHEPCL) प्रदेश की जैवविविधता संपन्न दिबांग नदी घाटी में निर्मित होने वाली है।
- इस परियोजना को पहली बार 2003 में चिन्हित किया गया था और 2009 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संदर्भ की शर्तें (ToRs) प्रदान की गई थीं।
- इसमें दो बांधों के निर्माण की परिकल्पना की गई है- योरोन गांव के पास दिर नदी पर 101.5 मीटर ऊंचाबांध और तंगोन नदी पर 80 मीटर ऊंचाबांध।
- दिर और टैंगोनदी दिबांग की सहायक नदियां हैं।
परियोजना के विरोधके कारण
- प्रस्तावित परियोजना का स्थान इंडो-चीनी और इंडो-मलयन जैव-भौगोलिक क्षेत्रों के क्षेत्र में स्थित है, जहाँ शानदार वनस्पति और जैव विविधता हैं।
- लगभग छह वैश्विक विलुप्तप्राय स्तनपायी प्रजातियां इस क्षेत्र में पाई जाती हैं, जिनमें से तीन लुप्तप्राय हैं |
- इसके अलावा, संपूर्ण क्षेत्र इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) प्रबंधन श्रेणियों III और IV, एंडीमिक बर्ड एरिया, ग्लोबल बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट, और प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो वैश्विक स्तर पर इसके महत्व को दर्शाता है।
दिबांग नदी
- दिबांग नदी, जिसे आदि में सिकंग और इडु में तलोन के रूप में भी जाना जाता है, ब्रह्मपुत्र (अरुणाचल प्रदेश में दिहांग के रूप में जाना जाता है) की एक सहायक नदी है, जो अरुणाचल प्रदेश राज्य से मिश्मी हिल्स और पूर्वोत्तर भारत में बहती है।
- दिबांग की प्रमुख सहायक नदियां सीसार, मथून, तंगोन, चाल, इथुन और एमा हैं।