शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल
- 18 Sep 2023
पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में 17 सितंबर, 2023 को शामिल किया गया है।
- शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाला भारत का 41वां धरोहर स्थल है।
- दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे और सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान के बाद शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल का तीसरा विश्व धरोहर स्थल बन गया है।
- शांतिनिकेतन को इस सूची में शामिल करने का निर्णय 17 सितंबर, 2023 को सऊदी अरब में विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया।
- अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्था 'इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स' (ICOMOS) द्वारा शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी।
- ‘ICOMOS’ विश्व के वास्तुशिल्प एवं धरोहर स्थल के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित फ्रांस में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है।
- शांतिनिकेतन की शुरुआत रविंद्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने 1863 में एक आश्रम के तौर पर की थी।
- 1901 में रविंद्रनाथ टैगोर ने इसे प्राचीन भारत के गुरुकुल सिस्टम पर आधारित रेजिडेंशियल स्कूल और आर्ट सेंटर में बदला।
- टैगोर ने 1921 में यहां विश्व भारती की स्थापना की, जिसे 1951 में केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया।
यूनेस्को विश्व विरासत स्थल
- यूनेस्को विश्व विरासत स्थल या विश्व धरोहर स्थल एक ऐसा स्थल है, जिसे यूनेस्को द्वारा विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्व के स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है।
- प्रबंधनः विश्व धरोहर स्थलों की सूची का प्रबंधन ‘अंतरराष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम’ के तहत किया जाता है, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (UNESCO World Heritage Committee) द्वारा प्रशासित किया जाता है।
- इस समिति में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा निर्वाचित यूनेस्को के 21 सदस्य देश शामिल होते हैं।
- वैश्विक अभिसमयः यह वस्तुतः वर्ष 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय संधि में सन्निहित है, जिसे विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित संधि/अभिसमय के नाम से जाना जाता है।
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